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फर्जी कंपनियों के डायरेक्टरों को राहत, दूसरी कंपनियों में डायरेक्टर बनने पर लगी रोक हटी

locationप्रयागराजPublished: Jan 17, 2020 07:22:23 pm

– 5 साल के लिए अयोग्य घोषित कर डिन नंबर बंद करने का कंपनी रजिस्ट्रार का आदेश रद्द – नये सिरे से कानूनी कार्रवाई की मिली छूट

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फर्जी कंपनियों के डायरेक्टरों को राहत, दूसरी कंपनियों में डायरेक्टर बनने पर लगी रोक हटी

प्रयागराज। प्रदेश की डिफाल्टर कंपनियों के डायरेक्टरों को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। पांच वर्ष तक किसी कंपनी का डायरेक्टर बनने पर लगी रोक रद्द कर दी है। साथ ही इनके डिन नंबर बंद करने के आदेश को भी निरस्त कर दिया है। हाईकोर्ट ने कंपनी रजिस्ट्रार को सभी डायरेक्टरों को नोटिस जारी कर सुनवाई का मौका देते हुए नये सिरे से नियमानुसार कार्रवाई करने की छूट दी है। कोर्ट ने कहा है कि धारा 164 के तहत अयोग्य घोषित डायरेक्टरों का डी आई एन नंबर बंद करने की कार्रवाई विधि विरुद्ध है। कोर्ट ने डायरेक्टरों का डिन नंबर बंद करने और उन्हें 5 साल के लिए अयोग्य करार देने की जारी सूची को रद्द कर दिया है । कोर्ट ने कहा है धारा 164 के अंतर्गत अयोग्य घोषित कंपनी के डायरेक्टरों का डिन नंबर बंद नहीं किया जा सकता । केवल नियम 11 की शर्तों के अनुसार डिन रोकने या बंद करने की कार्रवाई की जा सकती है।

यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति राजीव मिश्रा की खंडपीठ ने जय शंकर अग्रहरी सहित सैकड़ों डायरेक्टरों की याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा है कि धारा 164 के अंतर्गत अयोग्य घोषित किए गए कंपनी डायरेक्टरों का डिन नंबर निरस्त या निष्क्रिय नहीं किया जा सकता । इस संबंध में नियम 11 के तहत निर्धारित शर्तों के उल्लंघन पर ही निर्णय लिया जा सकता है ।कोर्ट ने अपने 89 पेज के फैसले में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा है कि कंपनी रजिस्ट्रार का आदेश नियमानुसार नहीं है।
भारत सरकार ने देश की करीब तीन लाख कंपनियों के डायरेक्टरों के ऊपर कार्रवाई की। यह वह डायरेक्टर हैं जो ऐसी कंपनियों में थे जो फर्जी थी। जिन्होंने पिछले 3 साल का रिटर्न दाखिल नहीं किया था। ऐसी कंपनियों को बंद कर दिया गया और उन के डायरेक्टरों को अयोग्य करार देते हुए अगले 5 साल तक किसी दूसरी कंपनी में डायरेक्टर के तौर पर काम करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। इसी कार्रवाई के तहत उनके डिन नंबर बंद कर दिए गए थे। जिसकी वजह से वह दूसरी कंपनियां का कार्य नहीं कर पा रहे थे।

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