वहीं दूसरी तरफ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने फिर कुलपति के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। विद्यार्थी परिषद ने कहा कि विश्वविद्यालय के कुलपति अपने भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए छात्रों की आवाज दबाना चाहते हैं। उन्हें मालूम है कि कुलपति के खिलाफ आवाज उठाने में छात्रावासों की सक्रिय भूमिका होती है ऐसे में उन्हें हटाना चाहती हैं वही छात्रों पर हुए लाठीचार्ज का विरोध करते हुए विद्यार्थी परिषद ने चीफ डॉक्टर के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने की मांग की है।
ऋचा सिंह ने पत्रिका से बात और कहा कि आज जिस तरह से हॉस्टल वाशआउट विरोध में आंदोलन कर रहे, विश्वविद्यालय के छात्रसंघ पदाधिकारियों, अध्यक्ष महामंत्री समेत तमाम छात्रों पर बर्बरता पूर्वक लाठीचार्ज किया गया वह निंदनीय हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन के और अदूरदर्शिता और तानाशाही पूर्ण रवैये के परिणाम स्वरुप यह घटना घटी है।
विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा बिना किसी पूर्व सूचना के 47 डिग्री सेल्सियस तापमान में छात्रों को उस समय बेघर किया जा रहा था जब पी सी एस मैन्स , यूजीसी नेट के अलावा तमाम प्रतियोगी परीक्षाएं सर पर थी इतना ही नही बल्कि विश्वविद्यालय की क्रेट प्रवेश परीक्षा भी करीब है ऐसे समय मे विश्वविद्यालय प्रशासन के द्वारा इस तरह का तुगलकी फरमान जारी किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण फैसला था, जिसके चलते छात्र आंदोलन के लिये बाध्य हुए।
साथ ही विश्वविद्यालय प्रशासन ने कल जिस तरह से रजिस्ट्रार को बिना किसी कारण के पद से हटाया है वह भी पूरी तरह से अलोकतांत्रिक है। वी.सी द्वारा अध्यापको को लगातार प्रशासनिक पदों पर बिठाया जाने से अध्यापन कार्य प्रभावित हो रहा है जिससे विश्वविद्यालय तथा छात्रों को लगातार नुकसान हो रहा है।
By-Prasoon Pandey