यह आदेश न्यायमूर्ति एस पी केशरवानी ने योगेन्द्र प्रसाद श्रीवास्तव की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। मालूम हो कि याची 1अगस्त 74 को एल टी ग्रेड अध्यापक नियुक्त हुआ। उसने 2002 में विभागीय अनुमति लेकर एम ए किया और एल टी ग्रेड भूगोल प्रवक्ता पद पर उसे प्रोन्नत किया गया। 30 जून 13 को वह सेवा निवृत्त भी हो गया।
7जनवरी 19को एक अधिवक्ता दिलीप कुमार ने जिला विद्यालय निरीक्षक से शिकायत की। आरोप लगाया कि अधियाचित किये गये पद पर चयन बोर्ड की अनुमति लिए बगैर प्रोन्नति की गयीं हैं जो गलत है।और नियमित छात्र के रूप में एम ए करने के दौरान वेतन लिया गया है । निरीक्षक ने याची को सफाई के लिए तलब किया तथा 16 जनवरी 2020 के आदेश से एम ए करने के दौरान के वेतन की वसूली का निर्देश दिया । जिसे चुनौती दी गयी थी। कोर्ट ने कहा कि बिना कारण बताओ नोटिस के वेतन की वसूली नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के विपरीत है।
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