संगम की रेती पर संतो ने किया ध्वजारोहण ,सन्यासियों ने भारत माता को बताया आराध्य
त्रिवेणी के तट पर ध्वजारोहण कर शान से 69 वां गणतंत्र दिवस मनाया गया

इलाहाबाद संगम की रेती पर धर्म और आस्था के साथ संतों ने आज राष्ट्रभक्ति को भी सलाम किया।संगम क्षेत्र में आध्यात्मिक साधना में लगे संतों ने आज गणतंत्र दिवस पर मेला क्षेत्र में ध्वजारोहण कर तिरंगे को नमन क्या।धर्म और अध्यात्म के रंग में रमे रहने वाले साधू संतो ने गणतंत्र दिवस में राष्ट्र भक्ति का एक अलग रंग देखने को मिला।संगम तट में लगे माघ मेले में आज साधू सन्यासियो और दंडी स्वामियों ने ध्वजा रोहण किया और राष्ट्रगान गया।माघ मेला क्षेत्र में अखाड़ों और शंकराचार्य की परम्परा के दंडी स्वामियों ने आज धर्म क्षेत्र में तिरंगे का ध्वजा रोहण कर भारत माता की आराधना की। मंत्रो की धुन में झूमने वाले सन्त समाज ने आज मंत्रो की जगह संगम नगरी में राष्ट्रगान की ध्वनियों में रमे रहे।पूरा वातावरण राष्ट्रीयता से सराबोर हो गया। साधू संतो ने इस मौके पर देश वासियो को आपसी मतभेद भुलाकर आपस में भाईचारा बनाकर रहने का सन्देश देते हुए निर्मल गंगा के लिए गंगा जल हाथ में लेकर शपथ ली ।शपथ यह भी ली की हमारा गणतंत्र हमेशा अखंड और सुरक्षित बना रहे ।
संगमनगरी के गंगा के जिन घाटो में सुबह से ही हरः हर गंगे और हर हर महादेव के मंत्रोच्चार की ध्वनियाँ गूजती है। गणतंत्र की सुबह जनगणमन के गान से गूँज उठी। यहा गंगा के तट पर देश का गणतंत्र दिवस पूरी शान और सम्मान के साथ मनाया गया । संगम तीरे राष्ट्र ध्वज फहराया गया।और इसके गवाह बने यहा मौजूद साधू संत और सन्यासियो ने अखंड भारत की परिकल्पना को साकार करने के लिए संकल्प लिया।संतो ने राष्ट्रीयता को बरकरार रखने और लोगों के प्रति राष्ट्र और देश के लिए आस्था पैदा करने के लिए पूजा में यह संकल्प लेकर अनुष्ठान किया। कि देश का गौरव और मान बड़े विश्व में देश का सम्मान बढ़ाएं साथ ही यह गणतंत्र अनगिनत वर्षों तक स्वतंत्र रहे। पूरे देश के साथ आज त्रिवेणी के तट पर भी ध्वजारोहण कर शान से 69 वां गणतंत्र दिवस मनाया गया।
देश की स्वतंत्रता आंदोलन में क्रांतिकारियों का मुख्य केंद्र रहा प्रयाग ,संतो ऋषीयों की तपस्थली अध्यात्म का महास्थल पर एक बार फिर संतों ने धार्मिक मंचों से राष्ट्रभक्ति और भारत माता को अपना आराध्य बताया।भारत माता की रक्षा के लिए अखंड भारत की आराधना के लिए सशक्त भारत के कामना के लिए संतों ने पूरे देश के कल्याण के लिए संगम की रेती से आवाहन किया और एक बार फिर भारत को दुनिया में सोने की चिड़िया और विश्व गुरु बनाने के लिए कामना की।
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