गौरतलब है कि पूर्व में सहकारी समिति के सदस्यों ने 2,29,18,820 रुपये डूबने की शिकायत की थी। शिकायत पर इलाहाबाद के उपायुक्त और उपनिबंधक सहकारिता विजय शंकर तिवारी ने 2014 में मामले की स्वयं जांच की थी, जिसमें 210 ऋणी सदस्यों में से 26 को ऋण वितरण संदिग्ध पाया गया। 51 डिफॉल्टर सदस्यों और 45 अन्य सदस्यों से वसूली न हो पाने के कारणों की भी कोई ठोस जानकारी जांच अधिकारी को नहीं दी गई। 51 डिफॉल्टर सदस्यों में से एक लापता था, वहीं दो मृतक। 45 सदस्य ऐसे भी मिले, जिनसे बगैर ठोस कारण के वसूली रोक दी गई। उपनिबंधक ने सचिव सहकारी समिति को 23 मई 2014 को बकायेदारों से ब्याज समेत सम्पूर्ण धनराशि एक मुश्त जमा करने के लिए नोटिस जारी करने और करें धनराशि जमा नहीं करने पर वसूली की कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया था। दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने को भी कहा था, लेकिन प्रशासनिक फरमान को ताक पर रख तीन साल बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब परेशान कर्मचारियों ने अपने पैसे को प्रसाद की तरह बांटने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग करते हुए गाढ़ी कमाई की वापसी सुनिश्चित कराने की मांग की है।