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पत्नी व बेटी की बर्बर हत्या के आरोपी को नहीं मिली राहत, फांसी की सजा बरकरार

locationप्रयागराजPublished: Oct 04, 2018 10:43:47 pm

Submitted by:

Akhilesh Tripathi

शराब के लिए पैसे न देने पर हुआ दोहरा हत्याकांड, हाईकोर्ट ने की फांसी की सजा की पुष्टि

allahabad High court

इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मैनपुरी, करहल के निवासी सोबरन सिंह प्रजापति की फांसी की सजा बहाल रखी है। उस पर अपनी पत्नी व बारह साल की बच्ची की नृशंस हत्या करने का आरोप है। सत्र न्यायालय मैनपुरी ने जघन्य हत्या का दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनायी थी और सजा की पुष्टि के लिए हाईकोर्ट को भेजा गया था।
यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति ओम प्रकाश की खण्डपीठ ने दिया है। मालूम हो कि रूपपुर गांव के सोबरन सिंह प्रजापति ने पन्द्रह साल पूर्व ममता की शादी हुई जिससे पांच बच्चे पैदा हुए। 30जून 14 को आरोपी ने शराब पीने के लिए पत्नी से पैसे मांगे, न देने पर उत्तेजित हो गया और पत्थर व बांस से पीटकर पत्नी ममता की हत्या कर दी। साथ ही बारह साल की बड़ी लड़की सपना को जमीन पर कई बार पटका और गले पर पैर रखकर मरने तक दबाये रखा और लाश को छत पर छिपाने की कोशिश कर फरार हो गया। घटना की दूसरी बेटी चश्मदीद गवाह है।
नगला पाजवा के निवासी मृतका के ममेरे भाई रजनीश कुमार को फोन पर हत्या की सूचना मिलने पर उन्होंने एफआईआर दर्ज करायी। परिवार में बूढ़े माता-पिता के अलावा दो बेटे व बेटी बची है। सत्र न्यायालय ने आरोपी को जघन्य हत्या का दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनायी और जुर्माना भी लगाया। हाईकोर्ट ने कहा कि फांसी देने के बाद जुर्माने की सजा का औचित्य नहीं है और जुर्माने की सजा रद्द कर दी। कोर्ट ने अपराध को रेयर आफ रेयरेस्ट माना और कहा कि आम तौर पर हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सज दी जाती है। विशेष स्थिति में फांसी की सजा दी जाती है। यह कोर्ट के विवेक पर है कि वह अपराध की गंभीरता के आधार पर फैसला करे।
कोर्ट ने कहा कि आरोपी ने न केवल पत्नी की हत्या की अपितु नाबालिग बेटी के गले पर पैर रखकर मरने तक दबाये रखा। हत्या में बर्बरता की गयी। सत्र न्यायालय ने एक जनवरी 2017 को फांसी की सजा सुनायी। आरोपी 11 अगस्त 14 तक फरार रहा जिससे परिवार के अन्य सदस्यों को खतरा बना रहा। आजीवन कारावास की सजा न्याय नहीं होगा। वह फांसी की सजा हकदार है।
दहेज हत्या आरोपी की गिरफ्तारी पर रोक
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दहेज हत्या के आरोपी इलाहाबाद, कोरांव थाना क्षेत्र के निवासी राजकमल उर्फ मुरारी की पुलिस रिपोर्ट पेश होने तक गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है और शिकायतकर्ता मृतका के पिता सुग्रीव कुमार को नोटिस जारी कर राज्य सरकार सहित उनसे याचिका पर दो हफ्ते में जवाब मांगा है।
यह आदेश न्यायर्मूिर्त बी.के.नारायण तथा न्यायमूर्ति आर.एन.कक्कड़ की खण्डपीठ ने दिया है। याचिका पर अधिवक्ता दिलीप कुमार पाण्डेय ने बहस की। याची का कहना है कि 8 जून 2018 को याची की पत्नी गीता देवी की मौत हो गयी। पिता और भाई की मौजूदगी में दाह संस्कार किया गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी उत्पीड़न या हत्या या आत्महत्या का साक्ष्य नहीं मिला। मृत्यु का कारण नहीं पता चल सका। शरीर पर कोई चोट के निशान नहीं मिले। इसके बावजूद दहेज उत्पीड़न व हत्या के आरोप में याची के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है। कोर्ट ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट व अन्य तथ्यों को देखने से कथन में बल है जो विचारणीय है। याचिका में दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की गयी है।

प्रदेश की ग्राम पंचायतों में गांधी चबूतरों से अतिक्रमण हटाने का निर्देश, अनुपालन रिपोर्ट तलब
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपर मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी को ग्राम पंचायतों में बने गांधी चबूतरों का अतिक्रमण हटाकर बहाल करने का आदेश दिया है और कार्यवाही रिपोर्ट के साथ 8 अक्टूबर को हलफनामा मांगा है। कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा कोर्ट के गांधी चबूतरों से अतिक्रमण हटाने की जिम्मेदारी राजस्व विभाग पर शिफ्ट कर पल्ला झाड़ने पर गहरी नाराजगी व्यक्त की और कहा कि कोर्ट ने सचिव पंचायत राज से सभी जिलाधिकारियों व उप जिलाधिकारियों के मार्फत कार्यवाही करने का आदेश दिया था जिसका पालन नहीं किया गया। कोर्ट ने अतिक्रमण हटाकर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति वी.के.बिड़ला ने युगान्धरा ग्राम विकास एवं जनसेवा संस्थान की अवमानना याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता आचार्य राजेश त्रिपाठी ने बहस की। मालूम हो कि याची संस्था ने जनहित याचिका दाखिल कर प्रदेश की ग्राम पंचायतों में बने गांधी चबूतरों से अवैध कब्जे हटाने व उन्हें बहाल करने की मांग की। कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए राज्य सरकार को जिलाधिकारी व एसडीएम से रिपोर्ट मंगाकर कार्यवाही करने का निर्देश दिया। पालन न होने पर दाखिल अवमानना याचिका पर बहाना बनायाकि विपक्षी नहीं, राजस्व विभाग के अधिकारी कार्यवाही करेंगे। कोर्ट ने कहा कि जिला स्तरीय अधिकारियों द्वारा कार्यवाही की जानी है। आदेश का पालन न कर बहाना न बनायें और कार्यवाही करें।
BY- Court Corrospondence

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