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उपचुनाव: तो पीएम मोदी के लिए आसान नहीं है 2019 की राह! जनता ने किया सावधान

locationप्रयागराजPublished: Mar 14, 2018 03:12:43 pm

Submitted by:

Ashish Shukla

दोनों दलों का मिलन भाजपा के लिए परेशानियों का सबब बन सकता है

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दोनों दलों का मिलन भाजपा के लिए परेशानियों का सबब बन सकता है

इलाहाबाद. जिस तरह से यूपी में अखिलेश यादव और मायावती के साथ आने से दोनों ही सीटों पर सपा ने बेहतर बढ़त बनाई है। उससे से साफ है कि दोनों दलों का मिलन भाजपा के लिए परेशानियों का सबब बन सकता है। उपचुनाव में लगातार जारी बढ़त अगर जीत में तब्दील हुई तो 2019 में भाजपा के साथ ही पीएम मोदी की राह भी शायद आसान नहीं होगी। बतादं कि दोनों ही सीटों पर सपा ने 30 हजार से अधिक वोटों से भाजपा को पीछे छोड़ दिया है। जो लगातार जारी है। 80 लोकसभा सीट वाले उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा के साथ आने से भाजपा और पीएम मोदी के लिए चुनाव काफी कठिन हो सकता है। जानकारों की मानें तो 2019 में सपा-बसपा का साथ राजनीति में करिश्मा कर सकता है।
भाजपा ने जीती थी 73 सीटें बसपा का नहीं खुला था खाता

2014 लोकसभा चुनाव की बात करें तो अकेले यूपी से भाजपा गठबंधन को 73 सीटें मिली थी। वहीं कांग्रेस को पांच सपा को दो और बसपा का तो खाता तक नहीं खुल सका था। इतना ही नहीं विधान सभा के चुनाव में भी मोदी को आगे कर बीजेपी ने 325 से अधिक सीटें जीतकर यूपी में इतिहास रच दिया था। अब माया-अखिलेश ने सीएम और डिप्टी सीएम की सीट पर बढ़त बनाकर आने वाले समय में बड़ी चुनौती पेश कर दिया है।
अखिलेश ने तोड़ दिया भाजपा का फार्मूला

पिछले चुनावों में अखिलेश यादव को इसीलिए मात खानी पड़ी थी कि भाजपा ने बखूबी सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला तैयार किया था। बीजेपी के अध्यक्ष ने गैर यादव सभी पिछड़ी जातियों को पार्टी के साथ जोड़कर सपा को पटखनी दे डाली थी। इस उपचुनाव में बसपा के साथ ही अखिलेश ने तकरीबन 14 से अधिक छोटे दलों का समर्थन लेकर अपने पाले में माहौल बनाने का काम किया। इतना ही नहीं अखिलेश यादव ने अति पिछड़ी जाति को नेताओं को ये भरोसा दिलाया कि सपा सबके हितों का बखूबी खयाल रखेगी। जिसका परिणाम रहा है कि अब तक की हुई मतगणना में सपा जीत की ओर दिख रही है।
अति पिछड़ो ने छोड़ा बीजेपी का साथ तो मुश्किल में होगी भाजपा

जानकारों की मानें तो ये जो सपा ने जिस तरह से बढ़त बनाई है उसमें दलित मतदाताओं के साथ- साथ अतिपिछड़ों के साथ का नतीजा है। भाजपा 2019 को लेकर काफी तैयारी कर रही है। लेकिन अगर अति पिछड़ों ने साथ छोड़ा तो भाजपा के लिए राह मुश्किलों भरा होगा
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