मंगलवार को समर्पण करने पर उनकी ज़मानत प्रार्थना पत्र पर सुनवाई हुई जिसका सरकार की ओर से विरोध ज़िला शासकीय अधिवक्ता गुलाब चन्द्र अग्रहरि व अपर शासकीय अधिवक्ता राजेश गुप्ता ने किया । सुनवाई के बाद विजमा यादव को एक एक लाख की दो जमानतें व निजी मुचलका दाखिल करने पर रिहा करने का आदेश हुआ लेकिन उच्च न्यायालय के पूर्व के दिशा निर्देश की 20 हज़ार से ऊपर की जमानत पर ज़मानतदारों का सत्यापन कराना आवश्यक है, इस कारण सभी 7 मुल्जिमान को जमानत सत्यापन होने तक जेल भेज दिया।
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