जस्टिस लोकुर के साथ चीफ जस्टिस इलाहाबाद हाई कोर्ट सहित सभी अतिथियों के सामने उच्च न्यायालय की कोर्ट नंबर नौ में ई-कोर्ट का शुभारंभ किया गया। जस्टिस अंजनी मिश्रा लखनऊ हाई कोर्ट के जस्टिस विवेक चौधरी पहले जज रहे। ई-कोर्ट पूरी तरह से पेपर विहीन होगी कोर्ट, 21 अगस्त से नियमित कोर्ट में मुकदमे की सुनवाई करेगी।
इलाहाबाद की प्रधान पीठ करेगी सुनवाई
इलाहाबाद हाईकोर्ट में मुकदमों को डिजिटाइज़ किया जा रह है। डिजिटल केस दाखिले से न्यायाधीशों को डिजिटल नोटिंग की सुविधा मिलेगी। मामलों की सुनवाई के दौरान जज के सामने ई-कोर्ट की अपनी अलग कार्जलिस्ट होगी। जिस पर भी डिजिटल नोटिंग कर सकेंगे इसके बाद इसका डाटाबेस तैयार किया जाएगा।जिसका डिस्प्ले भी ऑटोमेटिक अपडेट होता रहेगा। न्यायाधीश सुनवाई के बाद जो आदेश देंगे।वह एसएमएस या ईमेल के तहत संबंधित वकीलों के पास जानकारी पहुंचेगी। ई-कोर्ट में पहले दिन 21 अगस्त को न्यायमूर्ति अंजली मिश्रा इलाहाबाद की प्रधान पीठ की कोर्ट नंबर 9 में और न्यायमूर्ति विवेक चौधरी लखनऊ खंडपीठ में बैठेंगे। इन दोनों कोर्ट की शुरुआत करने से पहले करीब 5000 मुकदमों की फाइलों के डिजिटाइजेशन किया जा चुका है। रिकॉर्ड के माध्यम से कंपनी मामलों सिविल रिवीजन और सी पी सी की धारा 24 के तहत स्थांतरण के नए और पुराने मुकदमों की ई-फाइलिंग की जायेगी।
ऐतिहासिक पल का साक्षी बनना गौरव की बात
हाईकोर्ट में ई-कोर्ट के उद्घाटन के बाद जस्टिस लोकुर सहित सभी अतिथियों ने हाईकोर्ट में बने कंप्यूटर लैब को देखा कोर्ट की मॉनिटरिंग किस तरह से होगी उसकी जानकारी ली। शुभारंभ समारोह में जस्टिस लोकुर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में बिताए अपने पल को साझा किया। साथ ही चीफ जस्टिस ऑफ हाईकोर्ट इलाहाबाद ने ई-कोर्ट की शुरुआत और उसको अमलीजामा पहनाने वाली टीम का आभार जताया कहा की इस ऐतिहासिक पल का साक्षी बनना गौरव की बात है।
हाईकोर्ट में ई-कोर्ट के उद्घाटन के बाद जस्टिस लोकुर सहित सभी अतिथियों ने हाईकोर्ट में बने कंप्यूटर लैब को देखा कोर्ट की मॉनिटरिंग किस तरह से होगी उसकी जानकारी ली। शुभारंभ समारोह में जस्टिस लोकुर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में बिताए अपने पल को साझा किया। साथ ही चीफ जस्टिस ऑफ हाईकोर्ट इलाहाबाद ने ई-कोर्ट की शुरुआत और उसको अमलीजामा पहनाने वाली टीम का आभार जताया कहा की इस ऐतिहासिक पल का साक्षी बनना गौरव की बात है।
उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से आए मुख्य सचिव नई कोर्ट और अतिथियों को इस बात का आश्वासन दिया।कि राज्य सरकार पेपर लेस ई-कोर्ट को चलाने के लिए हर संभव मदद करेगी और पूरी तरीके से वह उनके इस निर्णय का स्वागत किया और खुशी जाहिर की।बताया की राज्य सरकार ने ई-कोर्ट फीस की पहले ही अधिसूचित कर दिया है। इस नियमावली के तहत इलेक्ट्रॉनिक कोर्ट फीस स्टैंप के फार्म खरीदे जा सकेंगे इसकी सुविधा ऑनलाइन स्टॉक होल्डिंग कारपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड की वेबसाइट www.shcilestamps.com पर है या कोर्ट के काउंटर पर उपलब्ध होगी।
सीडी-डीवीडी व पेन ड्राइव के जरिए होगे मुकदमें न्यायमूर्ति दिलीप गुप्ता ने कोर्ट की नयी उपलब्धी के सबका आभार जताया साथ ही चीफ जस्टिस दिलीप भोसले के प्रयासों की सरहना की।उन्होंने बताया कि मुकदमों के दाखिले इंटरनेट के अलावा सीडी-डीवीडी व पेन ड्राइव के जरिए हो सकेंगे। इस प्रक्रिया में इलाहाबाद हाईकोर्ट में ई फाइलिंग काउंटर और लखनऊ में चार कंप्यूटर सिस्टम लगाए गए हैं। जहां वकील और मुंशी अपनी फाइल के रिकॉर्ड को अपलोड करा सकेंगे। उस पर वादी के डिजिटल साइन दस्तावेज और PDF भी बनेंगे हाईकोर्ट के आधिकारिक वेबसाइट के जरिए वकील और वादा कारी इंटरनेट के माध्यम से सीधे मुकदमे की ई-फाइलिंग कर सकेंगे हाई कोर्ट पर फाइलों की स्कैनिंग सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है।
होंगे सीएनआर केस नंबर रिकार्ड
प्रदेश के 75 जिलों और 130 आउट लाइन कोर्ट को भी सूचना तकनीक के माध्यम से जोड़ा गया है। इनमें लंबित 62 लाख मुकदमों की पूरी जानकारी नेशनल ज्यूडिशियल डेटा क्रेता पर प्राप्त की जा सकती है। उत्तर प्रदेश एक मात्र ऐसा राज्य है जिसकी सभी अदालतों की सूचनाएं इस लिंक पर उपलब्ध हैं। मुकदमों को एक सीएनआर केस नंबर रिकार्ड दिया जा रहा है। जो सुप्रीमकोर्ट तक काम करेगा। इस नंबर के जरिए मुकदमे से संबंधित जानकारियां आसानी से ढूंढी जा सकेंगी।
प्रदेश के 75 जिलों और 130 आउट लाइन कोर्ट को भी सूचना तकनीक के माध्यम से जोड़ा गया है। इनमें लंबित 62 लाख मुकदमों की पूरी जानकारी नेशनल ज्यूडिशियल डेटा क्रेता पर प्राप्त की जा सकती है। उत्तर प्रदेश एक मात्र ऐसा राज्य है जिसकी सभी अदालतों की सूचनाएं इस लिंक पर उपलब्ध हैं। मुकदमों को एक सीएनआर केस नंबर रिकार्ड दिया जा रहा है। जो सुप्रीमकोर्ट तक काम करेगा। इस नंबर के जरिए मुकदमे से संबंधित जानकारियां आसानी से ढूंढी जा सकेंगी।