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50 करोड़ के ठगी करने वाले का पर्दाफाश, चार गिरफ्तार

locationप्रयागराजPublished: Apr 25, 2019 03:34:04 pm

Submitted by:

sarveshwari Mishra

सरगना खुद को इलाहाबाद हाईकोर्ट का डिप्टी रजिस्ट्रार बताता था गिरोह में मोतीलाल नेहरू प्रौद्योगिकी संस्थान का असिस्टेंट प्रॉक्टर भी शामिल था।

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प्रयागराज. एसटीएफ ने हाई प्रोफाइल ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश कर दिया है। डिस्प्ले इलाहाबाद और पटना हाई कोर्ट में सीधी भर्ती कराने के नाम पर 50 करोड़ की ठगी कर डाली है इस गिरोह के सरगना समेत चार लोगों को हिरासत में लिया गया है। सरगना खुद को इलाहाबाद हाईकोर्ट का डिप्टी रजिस्ट्रार बताता था गिरोह में मोतीलाल नेहरू प्रौद्योगिकी संस्थान का असिस्टेंट प्रॉक्टर भी शामिल था।

उत्तर प्रदेश सहित बिहार में ठगी करने वाले गिरोह ने समीक्षा अधिकारी सहायक समीक्षा अधिकारी लिपिक चपरासी पदों की भर्ती के लिए 1400 सौ अभ्यर्थियों से करोड़ों रुपए की वसूली की है। एसटीएफ के सीओ नवेंद्र कुमार इंस्पेक्टर केशव चंद राय ने बुधवार की दोपहर को छापेमारी कर एमएनएनआईटी में छापेमारी कर गिरोह की गिरफ्तारी की। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक पकड़े गए सरगना जिले के सोरांव थाना अंतर्गत मोहम्मद शमीम सिद्दीकी हैं जो खुद को इलाहाबाद हाईकोर्ट का डिप्टी रजिस्ट्रार बताकर पैसे वसूलता था। साथ ही मोतीलाल नेहरू इंजीनियरिंग कॉलेज के असिस्टेट प्रॉक्टर राघवेंद्र सिंह को गिरफ्तार किया गया है। पहले राघवेंद्र सिंह स्टूडेंट्स एक्टिविटी एंड स्पोर्ट्स अफसर रहे हैं।

पकड़े गए गिरोह के पास से लाखों के भरे हुए चेक ब्लैंक चेक 30 हजार नगद तीन लग्जरी कार एक बाइक बरामद हुई है। पुलिस के मुताबिक इलाहाबाद हाई कोर्ट और पटना हाई कोर्ट में सीधी भर्ती कराने के नाम पर इस गिरोह ने करोड़ों की ठगी की है इन शातिर अपराधियों ने जालसाजी की पूरी तैयारी की थी गिरोह ने आर्टिकल 229 के फर्जी दस्तावेज तैयार कराए थे साथ ही अनुच्छेद 229 के माध्यम से हाईकोर्ट में विभिन्न पदों पर पात्रता के आधार पर सीधी भर्ती का विज्ञापन तक कई अखबारों में छपवा दिया था। पुलिस के मुताबिक इस आर्टिकल के तहत सीधी भर्ती का प्रावधान है अखबार की प्रतियां दिखाकर यह शातिर अभ्यर्थियों को विश्वास में लेते थे और खुद डिप्टी रजिस्ट्रार बताने वाला सरगना समीम हाई कोर्ट से संबंधित अन्य दस्तावेजों की फाइल अपने पास रखता था जिले के चुनाव का रहने वाला शमीम सिद्दीकी 1978 में इलाहाबाद हाईकोर्ट की को ऑपरेटिव सोसाइटी में अकाउंटेंट रह चुका था ऐसे मो कोर्ट के विषय में तमाम जानकारियां रखता था पुराने तमाम कागजातों को दिखाकर बेरोजगार युवकों को यकीन दिलाता था और रजिस्ट्रार होने का दावा कर के लोगों से ठगी करता था।

वहीं दूसरा जाल साज राघवेंद्र सिंह बेहद शातिर था राघवेंद्र एमएनआईटी कैम्पस में 2019 से स्टूडेंट एक्टिविटी एंड सपोर्ट अफसर के पद पर तैनात था राघवेंद्र ने 2009 माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड का पर्चा लिखकर आने के आरोप में जेल जा चुका था लेकिन जेल से छूटने के बाद उसने फिर एमएनआईटी ज्वाइन कर लिया पुलिस ने बताया कि राघवेंद्र ने 700 अभ्यर्थियों से 10 करोड़ की वसूली की थी।
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