बिछने लगी बिसात, शुरू हुआ शह-मात का खेल
प्रयागराजPublished: Sep 12, 2016 03:03:00 pm
इविवि छात्रसंघ चुनाव: क्लास रूम से कैंपस, सड़क से कमरों तक तैयारी शुरू
इलाहाबाद. पूरब के ऑक्सफोर्ड में नए सत्र की शुरुआत के साथ एक बार फिर छात्रसंघ चुनाव की सरगर्मी शुरू हो गई है। भले ही चुनाव की तिथि घोषित न हुई हो, लेकिन संभावित उम्मीदवाारों ने नवप्रवेशी छात्रों को अपने पाले में करने के लिए क्लासरूम से छात्रावासों और लॉज से किराये के कमरों तक चहलकदमी शुरू कर दी है। वहीं, छात्रसंगठनों से जुड़े भावी प्रत्याशी नए छात्रों को हॉस्टल में कब्जा दिलाने से लेकर माकन मालिकों से किराया कम कराने तक आवभगत में लगे हैं। डेलीगेसी में दर्जनों चारपहिया वाहन पोस्टर बैनर के साथ छात्रों तक जा रहे हैं। विश्वविद्यालय से रूम तक लाने- ले जाने की भी सेवा शुरू की गई है। विवि में मठाधीशों की बैठकी भी शुरू हो गई है।
एबीवीपी दिल्ली विवि से उत्साहित
इविवि छात्र संघ भवन पर सुबह से देर रात तक छात्र नेताओं का जमावड़ा हो रहा है। समर्थकों से लेकर पूर्व पदाधिकरियों को अपने मंच पर लाने के लिये नेताओं ने पूरी ताकत लगा रखी है। नए प्रवेशियों को परिचय और पूर्व पदाधिकारियों को अपने संबंधो और क्षत्रीयता के नाम पर जोडऩे की कोशिश चल रही है। पिछले चुनाव में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् ने विवि के पांच में से चार जीते थे। इस बार भी एबीवीपी दिल्ली विवि के परिणाम से फिर उतसाहित है
एनएसयूआई राहुल के साथ लगी
पिछले कई सालों से कैम्पस से गोल एनएसयूआई इस चुनाव में वापसी के लिए इस बार भी ज्यादा सक्रिय नहीं दिख रही है। अब तक न तो संगठन के प्रत्याशियों के नाम तय हुए न ही पोस्टर, बैनर, होर्डिंग में ही संगठन कहीं दिख रहा है। एनएसयूआई कार्यकर्ताओं का कहना है हमारे नेता अपने अपने क्षेत्रों में राहुल गांधी के कार्यक्रम में लगे हैं। उनके लौटते ही चुनावी तैयारी शुरू हो जाएगी।
आइसा पुरानी रणनीति पर ही
आइसा अपने पुराने तरीकों से मैदान में पहचान बनाने में जुटी है। वामपंथी संगठन के कार्यकर्ता डेलीगेसी में नुक्कड़ सभाएं करके छात्रों तक पहुच रहे हैं। इसके अलावा कैंपस में स्टडी सर्किल, क्लासरूम डिस्कशन कर नए छात्रों तक पहुंचने की कोशिश की जा रही है।
समाजवादी छात्रसभा को सरकार की मजबूती
पिछले कुछ समय से इविवि में समाजवादी छात्र सभा मजबूत रही है। बीते चुनाव में अध्यक्ष पद पर विजयी रहीं ऋचा सिंह को समाजवादी छात्र सभा का समर्थन हासिल था। उन्होंने सपा ज्वाइन कर ली तो संगठन ऋचा के आंदोलनों और सरकार की मबजूती के बल पर चुनाव के लिए उत्साहित है।
टूट गया छात्रहित वाला एका
पिछले कई महीनों से कुलपति के खिलाफ छात्रों का आन्दोलन अलग-अलग मुद्दों पर जारी है। कुलपति के विरोध में एकजुट होकर सभी संगठनों ने मोर्चा खोल रखा था, लेकिन चुनाव आते ही सभी अलग दिखने लगे हैं। इस बार जीत और हार में कुलपति के खिलाफ चले आन्दोलन की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। क्लास रूम तक हो रहे प्रचार में भी इसकी गूंज साफ सुनी जा सकती है। इसके अलावा लम्बे समय से लाइब्रेरी में किताबों की जैसे मुद्दों को लेकर सामान्य छात्रों में नाराजगी भी है। जो चुनावी मुद्दा बन रहे हैं।
विवि प्रशासन भी पूरी तैयारी में
लंबे समय से आंदोलन झेल रहा विवि प्रशासन भी चुनाव को लेकर सतर्क हो गया है। सबसे बड़ी चुनौती लिंगदोह की सिफारिशों के तहत चुनाव करवाना है। लेकिन पिछले कुछ सालों से इविवि के छात्रसंघ चुनाव में जिस तेजी से पैसे और पॉवर का दखल बढ़ा है इससे विवि प्रशासन परेशान जरूर है। चुनावी मौसम के आते ही कोचिंग, नर्सिंग होम और तमाम संस्थानों से वसूली की भी शिकायतें आती हैं। इस बार विवि प्रशासन इसके खिलाफ सख्त कार्यवाही की तैयारी की है। इसको लेकर प्रॉक्टर तथा कुलसचिव में शिकायत दर्ज कराने की व्यवस्था की गई है।
इसलिए खास है इविवि का चुनाव
इविवि छात्र संघ राजनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इविवि छात्रसंघ ने देश को प्रधानमंत्री से मुख्यमंत्री और प्रशासनिक अधिकारियों की फौज दी है। पिछली बार छात्रसंघ अध्यक्ष पद पर आजादी के बाद पहली महिला अध्यक्ष निर्वाचित होकर ऋचा सिंह ने इतिहास रचा था। उनका पूरा कार्यकाल चर्चा में रहा। कैंपस के आन्दोलन की गूंज संसद तक रही।