इलाहाबाद विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी चितरंजन कुमार ने बताया है कि विश्वविद्यालय में स्टूडेंट काउंसिल की व्यवस्था लागू करने का फैसला विश्वविद्यालय प्रशासन ने लिया है ।जिसकी जानकारी कोर्ट को दी गई है। गौरतलब है कि लिंगदोह की सिफारिश के क्लाज 6.1.2 के अंतर्गत ये कहा गया है कि जहां विश्वविद्यालय परिसर का माहौल अशांत और स्थिर हो कैंपस में शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव की संभावना ना हो वहां छात्र परिषद की व्यवस्था की जाए। केंद्रीय विश्वविद्यालय बनने के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय परिसर में कई बार बड़े हंगामे हो चुके हैं। बता दें कि इससे पहले 2005 में विश्वविद्यालय का छात्र संघ किया जा चुका है।
चितरंजन कुमार ने बताया कि छात्र संघ चुनाव को धनबल और बाहुबल से मुक्त कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने लिंगदोह कमेटी की संस्तुति देशभर में लागू की थी। लिंगदोह कमेटी ने छात्र संघ के लिए दो मॉडल की सिफारिश की थी। कमेटी ने जेएनयू और हैदराबाद जैसे छोटे विश्वविद्यालय कैंपस के लिए प्रत्यक्ष मतदान की बात कही है। उन्होंने कहा है कि लिंगदोह द्वारा अशांत माहौल की स्थिति में या बड़े कैंपस के लिए स्पष्ट तौर पर छात्र परिषद का निर्देश दिया गया है। 17 मई 2019 को विश्वविद्यालय ने इसका हलफनामा हाई कोर्ट में दाखिल किया था जिस पर न्यायालय ने गंभीरता पूर्वक विचार किया है।