लखनऊ और कानपुर में स्वाइन फ्लू के मरीज मिलने प्रदेश का सरकारी अमले में हडकंप मच गया है। इसके साथ ही विभिन्न जिलों के सरकारी अस्पतालों में भी स्वाइन फ्लू से निपटने के लिए विभिन्न जांच के साथ ही सुविधाओं को भी बढ़ाने की कवायत शुरू कर दी गई है। इसी क्रम में इलाहाबाद के सरकारी अस्पताल स्वरूपरानी चिकित्सालय, काल्विन और बेली अस्पताल में भी 10-10 बेड स्वाइन फ्लू के मरीजों के लिए आरक्षित किया गया। जब कि जिले के ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी अस्पतालों में पांच-पांच बेड आरक्षित किए गए हैं। इसके अलावा मंडल स्तर पर प्रतापगढ़, कौशाम्बी व फतेहपुर के जिला अस्पतालों में भी स्वाइन फ्लू के लिए अलग वार्ड में पांच-पांच बेड आरक्षित किया गया है। इसके अलावा मरीज को पांच दिन तक 75 एमजी की टेनिफ्लू टैबलेट दी जाती है। जिससे मरीज के जल्दी ठीक होने की संभावना होती है।
चार साल बाद जिले में मिले दो मरीज इलाहाबाद मेें 2013 के बाद 2015 में एक स्वाइन फ्लू का मरीज मिला था। इसके बाद पहली बार स्वाइन फ्लू के दो मरीज इस साल 2017 में मिल चुके हैं। सीएमओ आफिस से मिली जानकारी के अनुसार कुछ महीने पहले मिले दोनो मरीज 35 वर्षीय महिलाएं हैं। वर्तमान में दोनो की स्थिति सामान्य है। वहीं लखनऊ और कानपुर में स्वाइन फ्लू का मामला आते ही सरकारी अस्पतालों में अलर्ट जारी कर दिया गया है।
ये लोग रहें सावधान संक्रामक रोग प्रभारी एएन मिश्रा के अनुसार स्वाइन फ्लू का खतरा सबसे ज्यादा एक साल से कम उम्र के बच्चों या 70 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को होता है। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं को भी स्वाइन फ्लू तेजी से फैल सकता है।
दो फीट की दूरी जरूरी एडिज मच्छर के काटने से फैलने वाला स्वाइन फ्लू एक संक्रामक रोग है। यह रोग मरीजे के खांसने व छींकने से भी फैलता है। मरीज के खांसने और छींकने के दौरान सामान्य लोगों से दो फीट की दूरी अनिवार्य है। यही कारण है कि मरीज के परिजनों को भी इस बीमारी के होने का खतरा ज्यादा रहता है। इसी को ध्यान में रखते हुए मरीज के परिवार वालों को भी स्वाइन फ्लू वैक्सिन लगाई जाती है।
स्वाइन फ्लू के लक्षण स्वाइन फ्लू का प्रमुख लक्षण सर्दी, खांसी और जुकाम के साथ बुखार आना। इसके साथ ही शरीर के जोड़ों में दर्द होता है। हल्का लक्षण दिखाई दे तभी मरीज को चेकअप करवान जरूरी है। अगर हालत गंभीर हुई तो मरीज की सांस फुलने लगती है। ज्यादा हालत गंभीर हुई तो मरीज के मुंह से भी खून निकलने लगता है।
जांच के इंतजाम लखनऊ इलाहाबाद में जांच की सुविधा नहीं है। यहां केवल मरीजों के सैंपल लिए जाते हैं। यहां से सैंपल लखनऊ स्थित एसजीपीजीआई भेजा जाता है। वहां की रिपोर्ट के आधार पर मरीज की पहचान की जाती है।