पूरे पांडाल में आग-आग चिल्लाते हुए भगदड़ मच गई। आसपास के लोगों ने पुलिस और फायर बिग्रेड कर्मचारियों के साथ लकडिय़ों से पतरों को तोडक़र अंदर घुसा। आग की चपेट में जो तंबू नहीं आए और आग आगे नहीं बढ़े इसके लिए अंदर घुसते ही तंबू गिराना शुरू कर दिए। तंबू के अंदर की गैस टंकियां और परिसर में खड़ी गाडिय़ों को ताबड़तोड बाहर निकालना शुरू कर दिया। पांडाल के संत और अधिकारियों में खौफ था कि जिस तरह से तेज हवा चल रही है उसे कहीं आसपास के पांडाल आग की चपेट में न आ जाए।
फायर ब्रिगेड के कर्मचारियों ने पांडाल को चारों तरफ से घेरकर पतरंों की शीट की बाउंड्रीवाल को तोडक़र काबू करने का प्रयास किया। प्रशासन ने तब चेन की सांस ली जब हवा कुछ देर के लिए बंद हो गई। धमाके के बाद जहां पूरा क्षेत्र खाली हो चुका था वहीं फायरकर्मियों के पीछे संतो के साथ ही कुछ लोगों ने भी अंदर घुसने की हिम्मत जुटाई। तेजी से सभी पांडालों की आग पर काबू पाने के लिए शीट को हटाया गया। आग पर काबू पाने के बाद संतों ने अपना सामान तलाशना शुरू किया। संतो के एटीएम, जले हुए नोट, दस्तावेज सहित कई महत्वपूर्ण सामग्री तलाशना शुरू की। नुकसान होने का गम कम था पर सरकार से शाही स्नान को लेकर जल्दी पांडाल तैयार कर दें।
लगभग 25 तंबू में कई संत रह रहे थे जिनका अधिकतर सामान जल गया था। लगभग एक घंटे में आग पर काबू पाने के बाद स्थिति सामान्य हो गई। आसपास के संत जरूर अग्निकांड को देखने और सांतवना देने के लिए पहुंच रहे थे। संतो का कहना था कि लगभग 25 लाख रुपए का नुकसान हुआ है।