इन दिनों उत्तर भारत में प्रचंड गर्मी पड़ रही है, ऐसे में लोग गर्मी से बचने के लिए एसी और कूलर में बैठते हैं। लेकिन ये क्या इलाहाबाद यानि प्रयागराज में लू महोत्सव का आयोजन हो रहा है। इस लू महोत्सव के आयोजन को यहां की ठेठ जीवन शैली से जोड़कर देखा जा सकता है। इलाहाबादियों में ही ये जज्बा और उनकी ही ये आर्ट ऑफ लिविंग है कि वे इस तरह से आयोजन करते हैं। इसमें सब लोग मिलजुलकर लू को मात देने की कोशिश करते हैं। इसके लिए लू महोत्सव में जुटने वाले लोगों को माथे पर हिम चंदन का लेप लगाया जाता है और उनके शरीर पर विशेष खस इत्र लगाया जाता है। जिसके बाद गर्मी को काटने वाले मौसमी फल और ठंडई का दौर शुरु हो जाता है। इस महोत्सव में लू और गर्मी से बेपरवाह होकर लोग प्रकृति के दिए हुए ऐसे भोज्य पदार्थों का सेवन करते हैं जो वास्तव में गर्मी और लू से हमे बचाती है।
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लू महोत्सव में सबसे खास होता है ठंडई, इस ठंडई को तैयार करने के लिए इसमें तरबूज और खरबूज के बीज के साथ पोश्ते का दाना सिल बट्टे पर पीसकर मिलाया जाता है। इसमें दूध और मलाई डाकर मिलाया जाता है। इसके बाद केसर मिलाकर लोगों को इसे पिलाया जाता है। लोगों का मानना है कि लू से बचने के लिए इलाहाबाद में काफी पुराने समय से इस तरह की ठंडई तैयार करने की परम्परा रही है। जिसे आज लू महोत्सव में लोग पुर्नजीवित कर रहे हैं।
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महोत्सव का आयोजन बाबा अभय अवस्थी ने किया। बाबा शहर में त्योहारों और रिवाजो को जिन्दा रखने के लिए अलग अलग अंदाज में आयोजन करते है। खुद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता है। वरिष्ठ भाजपा नेता राजीव भारद्वाज बब्बन भैया का कहना है की लू महोत्सव एक बहाना है। ये इलाहाबादी ठेठ अंदाज लोगों को खाने-खिलाने और एक दूसरे से भेंट मुलाकात का बहाना है। लू महोत्सव में शहर के प्रतिष्ठित व्यक्तियों सहित राजनीतिक दलों के लोग भी जुटे और सब ने लू महोत्सव के बहाने अपने इलाहाबादी अंदाज से खुद को जोड़े रखने की कोशिश की।