यूपी बोर्ड की कक्षा 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं 6 फरवरी से प्रारंभ हो रही हैं। परीक्षा खत्म होते ही उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन प्रारंभ हो जाएगा। उत्तर पुस्तिकाओं को जांचने के लिए हर बार शिक्षकों की होड़ लगी रहती है। बोर्ड के नियमानुसार एक शिक्षक हाईस्कूल की एक दिन में 50 काॅपियां जांचनी होती हैं जबकि इंटरमीडिएट की 45 काॅपियां।
बावजूद इसके काॅपी जांचने वाला शिक्षक नियम को ताक पर रख जल्दबाजी में कापियां जांचते हैं ताकि एक दिन में ज्यादा काॅपियां जांचने पर ज्यादा पैसा मिले। इस बार गुरूओं को पैसे की यह लालच भारी पड़ सकती है। क्योंकि अगर उत्तर पुस्तिका का एक भी पेज छुटा, अंकों का मूल्यांकन कम किया गया या कापियां ठीक से नहीं जांची गई तो यूपी बोर्ड उन्हें डिबार का रास्ता दिखाएगा।
क्योकि शिक्षकों की इस गलती के कारण यूपी बोर्ड को कई बार कठघरे में खड़ा होना पड़ा है। हाईकोर्ट से लगातार जलालत सुनने के बाद यूपी बोर्ड ने इस बार ऐसे शिक्षकों पर लगाम लगाने का निर्णय लिया है। पहली बार यूपी बोर्ड ने ऐसे लापरवाह शिक्षकों को कार्यालय बुलाएगा। यहां प्रकरण को परीक्षा समिति के सामने रखा जाएगा। कार्यालय में ऐसे शिक्षकों को उनकी गलतियां बतायी दिखाई और बतायी जाएंगी।
इसके बाद समिति ऐसे शिक्षक को डिबार कर देगा। यूपी बोर्ड सचिव नीनी श्रीवास्तव ने बताया कि बोर्ड की काॅपियां जांचने में लगातार शिक्षकों की लापरवाही के मामले आ रहे थे। इसमें सर्वाधिक कम अंक जोड़ने, काॅपियां ठीक से नहीं जांचने सबंधित सर्वाधिक शिकायते सामने आई हैं। लगातार कोर्ट में मामला आने के बाद इस बार ऐसे शिक्षको को डिबार करने का निर्णय लिया गया है।
उन्होंने कहा कि छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ बिल्कुल बरदास्त नहीं किया जाएगा। उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के पहले बोर्ड उन्हें ध्यान पूर्वक काॅपियां जांचने को कहेगा। साथ ही उन्हें कई अन्य तरह से सावधान भी करेगा।