बता दें कि स्वामी वैराग्यानंद पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के महामंडलेश्वर थे। उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को हराने के लिए हवन अनुष्ठान किया था। उन पर राजनीतिक बयानबाजी करने का भी आरोप लगा था। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने कहा है कि स्वामी वैराग्यानंद का कार्य गलत था और उनका आचरण साधु-संतों की मर्यादा के भी खिलाफ था। उन्होंने कहा है कि निरंजनी अखाड़े के पंच परमेश्वर की बैठक के बाद उन्हें निष्कासित करने का निर्णय लिया गया। महंत नरेंद्र गिरी ने कहा है कि किसी के अहित के लिए पूजा कराना अनुचित है। संत के तौर पर उन्होंने राजनीतिक विद्वेष से ग्रसित होकर दिग्विजय सिंह की जीत और साध्वी प्रज्ञा ठाकुर की हार के लिए पूजा अनुष्ठान किया।
दरअसल, स्वामी वैराग्यानंद के कई आश्रम गुजरात और मध्य प्रदेश में हैं। स्वामी वैराग्यानंद को दिग्विजय सिंह का करीबी बताया जाता है। वैराग्यानंद ने चुनाव के दौरान कई क्विंटल लाल मिर्ची का हवन करवाया था। इसके साथ ही उन्होंने दावा किया था कि अगर दिग्विजय सिंह हार जाएंगे तो वे समाधि ले लेंगे। आपको बता दें कि मालेगांव बम धमाकों की आरोपी रही साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को बीजेपी ने भोपाल सीट से दिग्विजय सिंह के खिलाफ मैदान में उतारा था। साध्वी प्रज्ञा सिंह ने दिग्गी राजा को रिकॉर्ड वोटों से हराया है। हालांकि चुनाव के दौरान साध्वी प्रज्ञा ठाकुर नाथूराम गोड़से को देशभक्त बताने और आतंकियों से लोहा लेते शहीद हेमंत करकरे की शहादत को लेकर विवादित बयान भी दिए था, जिससे चुनाव के दौरान साध्वी काफी चर्चा में भी रहीं।
BY- Prasoon Pandey