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इस मामलें में जल निगम के एज्क्यूटिव इंजीनियर अमित कटियार से बात की गई तो उन्होने कहा की कुम्भ 2019 में दो तरह के कार्य हुए थे एक परमानेंट औऱ दूसरा टेम्परेरी कार्य हुए थे। परमानेंट कार्यों के पैसे शासन से आ गये थे जिनका भुगतान किया ज़ा चुका है। औऱ टेम्परेरी कार्यों क़ा बिल समय से नही बन पाने के कारण पैसे नही आ सके थे जिस कारण शासन स्तर से पैसे रिलीज़ नही हो सका था। शासन स्तर से पैसे रिलीज़ नही हुए जिस वजह से बकाया पैसों क़ा भुगतान नही हो सका था। कुछ पार्ट पेमेंट एडवांस के रूप में दिए गये थे। वहीं मृतक ठेकेदार के परिजनों की माने तो जिन ठेकेदारों ने कमीशन ज़्यादा दिए थे उनका बकाया पेमेंट रिलीज़ करा दिया गया। लेकिन जिन्होने कमीशन नही पहुंचाया उन्हे टरकाया जाता रहा है। जिस कारण ठेकेदार सुशील पटेल की आर्थिक तंगी के कारण डिप्रेशन के चलते एक्सीडेंट हुआ औऱ पैसे नही होने से इलाज़ के अभाव में आकस्मिक मौत हो गई।