30 मई 2021 को नरेंद्र गिरि ने बड़े हनुमान मंदिर स्थित कार्यालय में बुलाया। पुरुषोत्तम के साथ आद्या आया था। नरेंद्र गिरि पुरुषोत्तम से पूछा कि ऑडियो किसने रिकॉर्ड किया था तो आद्या ने उससे नाम बताने से मना कर दिया। इससे महंत भड़क गये और उसे तुरंत मंदिर से निकल जाने को कहा। आद्या ने पलटवार करते हुए कहा, आप यहां 2004 में आये हैं और मैं 1978 से हनुमान मंदिर का पुजारी हूं। मुझे ऐसे बाहर नहीं निकाला जा सकता। नाराज नरेंद्र गिरि ने आद्या को तुरंत ही पुजारी बद से हटा दिया और दोनों बेटों की दुकानें छीन लीं। विवाद के अगले ही दिन आद्या ने महंत नरेंद्र गिरि से माफी मांग ली थी। कुछ दिनों बाद उसे दोबारा पुजारी के पद पर बहाल कर दिया गया था लेकिन, तमाम अधिकार छीन लिए गए जिसमें जिसमें दान के पैसों का हिसाब किताब भी शामिल था। इसके बाद दोनों खुलकर आनंद गिरि के पक्ष में आ गये।