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इलाहाबाद विश्वविद्यालय में बवाल, कार्य परिषद के सदस्य ने दिया इस्तीफा, रह चुके हैं कुलपति

locationप्रयागराजPublished: Jun 20, 2018 10:12:06 am

Submitted by:

sarveshwari Mishra

रजिस्ट्रार कर्नल हितेश लव की सेवा समाप्त करने के विरोध में इस्तीफा

Allahabad  University

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी

इलाहाबाद. इलाहाबाद विश्वविद्यालय में आरोप, इस्तीफे और जांच के बीच कैम्पस के हालात स्थिर नहीं हो रहे हैं। एयू वीसी के खिलाफ जहां एक तरफ छात्रसंघ ने मोर्चा खोल दिया है। वहीं दूसरी तरफ विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और कार्य परिषद के वरिष्ठ सदस्य प्रोफेसर सी एल खेत्रपाल ने कुलपति पर जोरदार हमला बोलते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। प्रोफ़ेसर खेत्रपाल के इस्तीफा देने के बाद से विश्वविद्यालय के प्रशासनिक खेमे में हड़कंप मच गया है। प्रोफेसर खेत्रपाल ने रजिस्ट्रार कर्नल हितेश लव की सेवा समाप्त करने के विरोध में अपना इस्तीफा राष्ट्रपति और एमएचआरडी को भेज दिया है।
प्रोफेसर खेत्रपाल इलाहाबाद विश्वविद्यालय के सीनियर प्रोफेसर है । विश्वविद्यालय के कुलपति भी रह चुके हैं, साथ ही वह विश्वविद्यालय की कार्य परिषद के वरिष्ठतम सदस्य है । जानकारी के मुताबिक़ विश्वविद्यालय में कुलपति द्वारा की जा रही तानाशाही के विरोध में अपना इस्तीफा दिया है। विश्वविद्यालय में आरोप प्रत्यारोप के बीच कई जांच कमेटीयों के आने के बाद भी कुलपति के खिलाफ किसी भी तरह का एक्शन ना होने के बाद प्रोफेसर और छात्रों में बेहद नाराजगी है । इसी बीच कुलपति ने मनमाने तरीके से विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार कर्नल हितेश लव को उनके पद से हटा दिया जिसका विरोध विश्वविद्यालय में लगातार जारी है।
प्रो. खेत्रपाल ने कहा है की कुलपति रतनलाल हांग्लू ने विश्वविद्यालय को मजाक बनाकर रख दिया।उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय में होने वाली कार्य परिषद की बैठकों का प्रोफेसरों को ,न एजेंडा बताया जाता है ।न ही विश्वविद्यालय से जुड़े किसी महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा होती है ।साथ ही उन्होंने विश्वविद्यालय की प्रशासनिक अधिकारियों के पदों की नियुक्ति को लेकर बड़ा सवाल खड़ा किया है। प्रो खेत्रपाल ने सवाल उठाया है जब किसी भी विवि में टर्म नियुक्ति में प्रोबेशन पीरियड नही होता तब रजिस्ट्रार की नियुक्ति में क्यों है,जब की इस पद पर भी नियुक्ति पांच साल के लिए होती है अगर रजिस्ट्रार को प्रवेशन पीरियड में रखा गया है तो कुलपति को भी रखा जाना चाहिए।
प्रो. खेत्रपाल ने कहा है कि जब किसी पर आरोप लगने से किसी को उनके पद से हटाया जा सकता है तब कुलपति के खिलाफ यूजीसी की टीम टीम टीम ने जांच कर रही हैं जिनमें इनके खिलाफ तमाम अनियमितताओं की रिपोर्ट में सामने आयी हैं ऐसे में कुलपति को नैतिक आधार पर अपना इस्तीफा सौंप देना चाहिए।वही प्रोफेसर खेत्रपाल के इस्तीफे के बाद अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने कुलपति हंग्लू के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय मंत्री रोहित मिश्रा ने कहां की प्रोफेसर खेत्रपाल का इस्तीफा देना विश्वविद्यालय के लिए दुखद है, उन्होंने बताया कि प्रोफेसर खेत्रपाल टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च ,बी ए आर सी, भारत सरकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यूजीसी कि सैकड़ों कमेटियों के प्रमुख रहे हैं पी जी आई के सेंटर ऑफ बायोटेक्निकल रिसर्च के फाउंडर मेंबर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति खेत्रपाल का इस्तीफा यह बताता है की विश्वविद्यालय में कुलपति द्वारा किस तरह तानाशाही चल रही है।
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