चैत्र नवरात्रि का आरंभ चैत्र प्रतिपदा तिथि को घटस्थापना की जाती है और अष्टमी एवं नवमी तिथि पर कन्या पूजन के बाद व्रत का पारण किया जाता है। इस वर्ष चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा 2 अप्रैल 2022 दिन शनिवार को हो रहा है। प्रतिपदा से लेकर के नवमी तक मां भगवती के नौ रूपों की उपासना की जाएगी ।
नवरात्रि में माता पूजन विधि नवरात्रि में घर पर माता की पूजन से पहले स्नान कर मंदिर की साफ सफाई करे और लाल कपड़ा बिछाकर मां को उस लाला कपड़े पर स्थापित करे। साथ ही माता रानी को नए वस्त्र,सिंगार का सामान, इत्र,हल्दी,कुमकुम और हो सके माता रानी को गुड़हल का फूल चढ़ाएं नही तो लाला रंग का फूल
चढ़ाएं ।
चैत्र नवरात्रि कलश स्थापना पूजन विधि नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापित किया जाता है. कलश स्थापना से पहले मंदिर की अच्छी तरह से सफाई करें और लाल कपड़ा बिछाएं। इसके बाद इस कपड़े पर थोड़े से चावल रखें और एक मिट्टी के चौड़े बर्तन में जौ बोएं । अब इस पात्र में पानी से भरा कलश रख दें साथ ही कलश पर कलावा बांधे। इसके अलावा कलश में सुपारी, सिक्का, अक्षत डालें । अब इसमें अशोक के पत्ते या आम के पत्ते रखें और इसके ऊपर चुनरी लपेटकर एक नारियल रख दें। नारियल पर कलावा बांध लें नारियल को कलश में रखते हुए मां दुर्गा का आवाहन करें। इसके बाद दीप जलाकर पूजा कर करें।
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त नवरात्रि में कलश स्थापना के लिए सही तिथि और मुहूर्त का बड़ा महत्व होता है। वैसे तो पूरे दिन भर कलश स्थापना की जा सकती है, लेकिन प्रतिपदा तिथि में ही कलश स्थापना का विशेष विधान है।
घटस्थापना का शुभ मुहूर्त - 2 अप्रैल को सुबह 6 बजकर 10 मिनट से 8 बजकर 30 मिनट तक। घटस्थापना का अभिजीत मुहूर्त - 2 अप्रैल को दोपहर 11 बजकर 40 से 12 बजकर 45 मिनट तक रहेगा।
अष्टमी और नवमी कब है वहीं महा अष्टमी का व्रत 9 अप्रैल दिन शनिवार को किया जाएगा। फिर रामनवमी का पावन 10 अप्रैल दिन रविवार को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाएगा। इसके बाद नवरात्र व्रत का पारण 11 अप्रैल दिन सोमवार को दशमी तिथि में प्राप्त किया जाएगा।
इस बार क्या है माता का वाहन पुराण के अनुसा, नवरात्र में माता के आगमन और गमन के दौरान वाहन का विशेष महत्व होता है। इस बार मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं। घोड़े पर सवार होकर माता रानी का धरती पर आगमन शुभ नहीं माना जाता है। इससे कई गंभीर परिणाम देखने को मिलते हैं।वही इस बार माता घोड़े पर आ रही हैं, जो कि शुभ नहीं माना जाता है। ऐसे में इस नवरात्र में माता की पूजा क्षमा प्रार्थना के साथ किया जाना नितांत आवश्यक है। प्रत्येक दिन विधिवत पूजा करने के बाद क्षमा प्रार्थना करने से माता प्रसन्न होंगी और शुभ फल देंगी।