लव जेहाद: उत्तर प्रदेश में जहां लव जेहाद चर्चा का विषय बना हुआ है। इसको लेकर अब योगी सरकार अवैध धर्मांतरण के खिलाफ कानून बना चुकी है। हालांकि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस साल 100 से अधिक प्रेमी जोड़ों को सुरक्षा दी। कोर्ट ने मुजफ्फरनगर की प्रियांशी उर्फ समरीन के मामले में सिंगल बेंच के सिर्फ शादी के लिये किये गए धर्म परिवर्तन को अवैध करार देने के फैसले को पलट दिया। डिवीजन बेंच ने स्पष्ट कहा कि अपनी पसंद का जीवन साथी चुनना हर किसी का मौलिक अधिकार है। इसे किसी जाति या धर्म के दायर में नहीं बांधा जा सकता। अभी इसी सप्ताह एक मामले में हाईकोर्ट ने एक हिंदू महिला और मुस्लिम पति के एक मामले में स्पष्ट कहा कि महिलाओं को अपनी शर्तों पर जीने का पूरा अधिकार है। महिला अगर अपने पति के साथ रहना चाहती है तो वह बिना किसी तीसरे पक्ष के प्रतिबंध या रुकावट के अपनी मर्जी से उसके पास जाने के लिये आजाद है।
कोरोनाः उत्तर प्रदेश में कोरोना से बचाव और उसकी रोकथाम को लेकर किये जा रहे उपायों की हाईकोर्ट लगातार माॅनिटरिंग कर रहा है। हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के चलते सूबे में न सिर्फ कोविड प्रोटोकाॅल का पालन करवाने के लिये पुलिस की स्पेशल टीम बनी, बल्कि ड्रोन कैमरों से निगरानी भी हुई। क्वारंटीन सेंटर से लेकर अस्पताल तक कोर्ट के हस्तक्षेप का असर दिखा।
डाॅ. कफील अहमद खानः गोरखपुर ऑक्सीजन कांड से चर्चा में आए डाॅ. कफील खान पर लगे एनएसए को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हटा दिया। हाईकोर्ट के दो जजों की बेंच ने डाॅ. कफील की मां नुजहत परवीन की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण की याचिका पर सुनवाई करते हुए उनपर लगे एनएसएस को हटाते हुए उन्हें तत्काल रिहा करने का आदेश दिया। डॉ. कफील खान सीएए एनआरसी के खिलाफ हुए देशव्यापी आंदोलनों का हिस्सा बने थे। उन्होंने विरोध प्रदर्शनों के दौरान मंच भी साझा किया था। इसी दौरान अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी में ऐसे ही एक विरोध प्रदर्शन के दौरान उनके द्वारा दिये गए भाषणों को भड़काऊ मानते हुए उन्हें 29 जनवरी को यूपी एटीएस द्वारा मुंबई से गिरफ्तार कर लिया गया और अलीगढ़ के डीएम की रिपोर्ट पर उनके खिलाफ एनएसए लगा दिया गया। अलीगढ़ सीजेएम कोर्ट ने डॉ. कफील खान को जमानत दे दी थी, लेकिन उनकी रिहाई के ठीक पहले उन पर एनएसए लगा दिया गया। उनपर लगे एनएसए की अवधि तीन बाद बढ़ाई गई।
सीएए-एनआरसीः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीएए-एनआरसी के विरोधम में चले आंदोलनों के दौरान हुई हिंसा और सरकार की कार्रवाई पर भी सुनवाई की। इससे जुड़े तमाम मामले हाईकोर्ट में आए। कोर्ट ने यूपी सरकार की 600 से ज्यादा पन्नों वाली रिपोर्ट ठुकरा दी। अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी में हुई हिंसा की जांच मानवाधिकारआयोग को सौंप दी। मामले कोर्ट में अभी भी चल रहे हैं।