गैर सरकारी स्कूलों के हालात यह है कि पहली कक्षा में शहर में एक प्रमुख स्कूल की एलकेजी की पुस्तक ढाई हजार से 3 हजार तक है। इसी प्रकार अन्य कक्षाओं में पुस्तकों की कीमत 2800 से 4500 रुपए तक है। हालात यह है कि एक गैर सरकारी स्कूल में कक्षा पांचवीं में 12 किताबें और 18 कॉपियां और कक्षा छठीं में 16 किताबें और 21 कॉपियां तक हैं। सीबीएसई व राजस्थान सरकार के नियमानुसार
एनसीईआरटी के तहत चलने वाली पुस्तकों के अनुसार ही कोर्स कराया जाएगा। हालात यह है कि कई गैर सरकारी स्कूलों में बच्चों का बैग इतना भारी होता है कि बच्चे उठा भी नहीं पाते हैं। इसके कारण उनमें कई बीमारियां भी आ जाती हैं। आरटीई के नियमानुसार गैर सरकारी स्कूल को अपनी किताबें दो दुकानों पर रखना अनिवार्य होगा, लेकिन इसके बावजूद एक ही विक्रेता के पास पुस्तकें मिलती हैं जिसका बिल तक नहीं दिया जाता है।
ये हैं हालात- पुस्तकों की संख्या- कक्षा एलकेजी में 5 से 6 तक
कक्षा फस्र्ट में 7 से 9 तक कक्षा दूसरी में – 8 से 10 तक। कक्षा 3 से 5 तक- 9 से 11 तक।
कक्षा 6 से 11 वीं तक- 12 से 18 तक पुस्तकें। ये है नियम- एनसीईआरटी ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय को इसके लिए सुझाव भी दिए हैं। इधर सीबीएसई का कहना है कि कक्षा एक या दो के छात्राओं के बस्ते का वजन दो किलो से अधिक नहीं हो। कक्षा 5 से आठवीं तक के
विद्यार्थियों के बस्ते का वजन 4 किलो हो और कक्षा 12 वीं तक के बस्ते का वजन 6 किलो से अधिक नहीं हो। बच्चों को शिक्षा विभाग व एनसीईआरटी की ओर से निर्धारित पुस्तकें ही पढ़ाई जा सकेंगी।
यह कहते हैं अधिकारी कोई भी गैर सरकारी स्कूल अपनी मर्जी से अनावश्यक पुस्तकें नहीं चला सकता है। इस मामले में अभिभावक अपनी शिकायत शिक्षा विभाग को कर सकते हैं।- बलदेव
कृष्ण गुप्ता, आरटीई समन्वयक, जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय प्रारम्भिक अलवर।