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अलवर में काटे जाएंगे 4 हजार पेड़, ऑक्सीजन की होगी भारी कमी

locationअलवरPublished: Jul 20, 2018 04:05:47 pm

Submitted by:

Prem Pathak

अलवर में अब 4 हजार पेड़ काटे जाएंगे। पेड़ काटने के बाद इलाके में प्रदूषण में बढ़ोतरी होगी।

4 thousand trees will cut in khairthal, pollution will increase

अलवर में काटे जाएंगे 4 हजार पेड़, ऑक्सीजन की होगी भारी कमी

खैरथल.खैरथल में जवाहर नवोदय विद्यालय के समीप वन विभाग की ओर से विकसित सघन वन जीएसएस की भेंट चढ़ जाएगा। इसके बदले नगर पालिका ने 11 लाख के अधिक रकम वन विभाग को दे दी है। वन विभाग ने इस क्षेत्र में 1985 में पेड़ लगाने का कार्य शुरु किया। इसके बाद क्षेत्र में अवैध खनन होने लगा जिसे रोकने के लिए आगे तक पेड़ लगाए गए। इस समय इस वन में 4 हजार 196 पेड़ हरे पेड़ हैं।
11 लाख रुपए देकर पेड़ तो काटे जा सकते हैं, लेकिन इससे पर्यावरण को होने वाले नुकसान की भरपाई कौन करेगा? एक ओर सरकार व प्रशासन ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने की बात करते हैं, वहीं दूसरी ओर एक साथ 4 हजार पेड़ कटने पर मौन है। इन पेड़ों की कटाई से खैरथल सहित आस-पास के इलाकों में प्रदूषण की मात्रा तेजी से बढ़ेगी।
इसके अलावा कहीं और नहीं इतने पेड़

खैरथल में इसके अलावा कहीं और इतने अधिक पेड़ एक साथ नहीं हैं। वन विभाग की ओर से विकसित किए गए इस वन में काफी संख्या में मोर, नीलगाय, जरख, जंगली खरगोश तथा जंगली शूकर आदि विचरण करते हैं। इन पेड़ों की कटाई से इन जानवरों को भी खतरा है। इन पेड़ों की कटाई के बाद खैरथल में कोई वन नहीं बचेगा।
प्रदूषण में होगी बढ़ोतरी

खैरथल पहले से ही बेहद प्रदूषित है। सामान्यत: खैरथल का प्रदूषण स्तर प्रतिदिन 150 से 200 के बीच रहता है। यहां औधोगिक इकाइयां हैं जो दिन-रात धुंआ छोड़ रही है। ऐसे में कस्बे के एक साथ 4 हजार से अधिक पेड़ काटने से यहां के पर्यावरण पर बेहद बुरा असर पड़ेगा।
अब पेड़ लगाना मुश्किल

पर्यावरण को बचाने के लिए एक पेड़ काटने के बदले तीन पेड़ लगाए जाने आवश्यक है। लेकिन यहां 4 हजार पेड़ काटने के बदले एक भी पेड़ नहीं लगाया जा रहा है। इस वन को विकसित करने में काफी साल लगे हैं, अब ऐसे वन को फिर से विकसित करना बेहद मुश्किल है।
यह कहते हैं पर्यावरणविद्

एक पेड़ 50 लाख रुपए तक की ऑक्सीजन देता है। इस हिसाब से देखा जाए तो 4 हजार पेड़ कस्बे व आस-पास के क्षेत्र को काफी मात्रा में ऑक्सीजन दे रहे हैं। अगर यह पेड़ काटे जाते हैं तो यह काफी दुखद होगा।
डॉ. एमपीएस चंद्रावत, पर्यावरणविद््र अलवर
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