कई खिलाड़ी वापस लौटे इस प्रतियोगिता में और अधिक टीमें आई थी लेकिन खिलाड़ी ओवरवेट होने की वजह से वे इस प्रतियोगिता में नहीं खेल पाए। दूसरी ओर मेजबान खैरथल से न तो नवोदय विद्यालय ने ना ही किसी निजी स्कूल ने इस प्रतियोगिता में खेलने में दिलचस्पी दिखाई है जबकि खैरथल में कई प्रतिष्ठित स्कूल भी हैं।
बिना खेल मैदान मान्यता नहीं शिक्षा विभाग ने स्कूल में खेल मैदान को अनिवार्य किया हुआ है। खेल मैदान के बगैर निजी स्कूलों को मान्यता नहीं मिलती, लेकिन खैरथल में ऐसे कई निजी स्कूल हैं जिनके पास खेल मैदान नहीं है। इसके साथ वे किसी खेल गतिविधि में भाग नहीं लेते। इन सब के बावजूद भी हालत यह है कि खैरथल की 20 स्कूलों में से केवल दो टीमों ने ही प्रतियोगिता में हिस्सा लिया।
पहले बाहर खेलने जाती थी खैरथल की टीमें खैरथल में पहले कबड्डी काफी प्रचलित था, खेल रुचि रखने वाले स्थानीय निवासी संतोष हेड़ाऊ ने बताया कि पूर्व में खैरथल की टीमें दूर-दूर तक कबड्डी प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने जाती थी, उस समय केवल सरकारी स्कूल हुआ करती लेकिन इसके बावजूद खैरथल की टीमें ओपन प्रतियोगिताओं में अच्छा प्रदर्शन करती थी। वहीं पीटीआई तेजराम सैनी ने खैरथल से टीमें नहीं आने पर आश्चर्य जताते हुए कहा कि पहले खैरथल में खूब कबड्डी खेली जाती थी, लेकिन अब इसके प्रति रुचि कम हो रही है।