खनन के धमाकों से भी नहीं टूट रही प्रशासन की नींद
खनन के धमाकों से भी नहीं टूट रही प्रशासन की नींद

मांढण की पहाडिय़ों अवैध खनन से कर दी जमीदोज
मांढण. कस्बे सहित क्षेत्र के आनंदपुर, खूदरोठ, कांकर, कुतीना, नानकवास, गिगलाना की पहाडिय़ों पर किया जा रहा अंधाधुंध अवैध खनन से वन सम्पदा चौपट हो रही है और पर्यावरण संकट में है। इससे कृषि की उपजाऊ पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है और बढ़ते प्रदूषण से सिलिकोसिस जैसी गंभीर बीमारी के जकडऩ में लोग आ रहे हैं। अवैध खनन से सीधे तौर पर आमजन जीवन पर पड़ रहे इन दुष्प्रभाव के बावजूद अवैध खनन पर अंकुश लगाने और खनन संपदा को बचाकर पर्यावरण संरक्षित करने की दिशा में काम नहीं हो रहा। मांढण कस्बे में फैली पहाडिय़ों की अपनी अलग अलग खासियत है और पहाडिय़ों में निकाला जा रहा पत्थर निर्माण कार्यों में काम में आ रहे है। कुछ दशक पहले तक मांढण सहित क्षेत्र की पहाड़ी खनिज संपदा से परिपूर्ण होने के साथ हरियाली खूब थी। लेकिन कुछ वर्षों से बड़े पैमाने पर मशीनों के जरिए इन पहाडिय़ों में किए जा रहे खुदाई ने केवल इन पहाडिय़ों को बौना कर डाला बल्कि वन संपदा को भी नष्ट कर दिया। लेकिन खनन विभाग व प्रशासन को मांढ़ण सहित क्षेत्र के हो अवैध खनन नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में खनन माफिया पहाडिय़ों में अवैध खनन कर पहाडिय़ों को गायब कर रहे है और खनन विभाग की नींद पहाडिय़ों में हो रहे धमाकों से भी नहीं खुल रही ।
अवैध खनन से हरियाली और भूमि की उर्वरा शक्ति हो रही नष्ट
मांढण सहित आनंदपुर की पहाडिय़ों में अवैध खनन से पहाड़ समाप्त होने के कगार पर हैं। पहाड़ों पर स्थित पेड़ पौधे भी इसकी भेंट चढ़ चुके है जिससे क्षेत्र में हरियाली भी गायब होती जा रही है। पर्यावरण के जानकार बताते है की आसपास के क्षेत्रों में पेड़ -पौधों पर खनन से उड़ी धूल जमा हो जाती है। जिससे पौधों की बढ़त थम जाती है और धीरे धीरे ये नष्ट होने लगता है। इसके अलावा मशीनों तथा विस्फोटकों से खनन करने पर वायुमंडल में उडऩे वाले पथरीले कण आसपास की भूमि की उर्वरा शक्ति को कमजोर बना रहे है। ये कण मिट्टी में जमा होते जा रहे है।
स्थानीय लोगों का स्वास्थ्य को भी खतरा
आबादी क्षेत्र में ही पहाडिय़ों पर किए जा रहे खनन से पर्यावरण व वनस्पदा के साथ मानव स्वास्थ्य भी खतरे के घेरे में है खनन एरिया के आस पास के इलाके में रहने वाले लोगों को श्वास तथा सिलिकोसिस जैसी बीमारी भी जड़े जमा रही है। खनन की वजह से वातावरण में उड़ती धूल मजदूरों के साथ साथ क्षेत्र के ग्रामीणों के फेफड़ों में को भी खराब कर रही है।
ये पौधों के अस्तित्व पर संकट
मांढ़ण क्षेत्र में नीम, बबूल, बेरी, बरगद,पीपल आदि पेड़ बहुतायत पाए जाते है। लेकिन खनन एरिया तक जाने के लिए इन पेड़ों को नष्ट किया जा रहा है। जानकार बताते है कि खनन का मलबा भी इधर उधर बिखरने से पेड़ों का विकास थमा है। यही कारण है घने जंगल के कारण इलाका उजड़ता जा रहा है और वन क्षेत्र को नुकसान पहुंच रहा है।
पुलिस थाने के पास से गुजर जाते है पत्थर से भरे टै्रक्टर ट्रॉली
पहाडिय़ों में हो रहे जमकर अवैध खनन के पत्थरों से भरे टै्रक्टर ट्रॉली दिनभर पुलिस थाने के पीछे के रास्ते व थाने के पास से गुजर जाते है लेकिन प्रशासन खनन माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई करने से डर रहा है। कस्बे के मुख्य सडक़ पर दिनभर कई दर्जनों भर टैक्टर अवैध खनन के पत्थर ले जाकर गुजरते हैं। लेकिन इन पर ना तो खनन विभाग कार्रवाई करता है और ना ही पुलिस ।
लीज की आड़ में अवैध खनन की भरमार
मांढ़ण कस्बे की पहाडिय़ों में खनन विभाग द्वारा कुछ लीज भी आवंटित की हुई है लेकिन खनन माफिया लीज की आड़ में अवैध खनन जमकर कर रहे है। ऐसे में पेड़ पौधों सहित वन्य जीवों पर भी दुष्प्रभाव पड़ रहा है। खनन माफिया लीज की आड़ लेकर अवैध खनन करने में मस्त है ।
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