लोगों को सांस लेने में खासी परेशानी का सामना करना पड़ा। वहीं विभागीय अधिकारी औद्योगिक क्षेत्र में होने वाले प्रदूषण से बेखबर बने हुए हैं, जिसकी वजह से क्षेत्रीय लोग दम घोंटू हवा में सांस लेने को मजबूर हैं।
भिवाड़ी औद्योगिक क्षेत्र स्थित फैक्ट्रियों से चिमनियां काला धुंआ उगलती हैं। कई फैक्ट्रियों में प्रदूषण मानकों का पालन नहीं हो रहा है। चिमनियों की गुणवत्ता ठीक नहीं होने से धुंआ फैल जाता है। जिससे आसपास का वातावरण दूषित हो जाता है।
चिमनियों की ऊंचाई कम होने से फैक्ट्री परिसर में भी धुंआ छाया रहता है, जिससे फैक्ट्री में काम करने वाले श्रमिकों के स्वास्थ्य से भी खिलवाड़ हो रहा है। दो वक्त की रोटी के लिए मजदूर मजबूरी में काम करते हैं।
फैक्ट्रियों से निकलने वाले जहरीले धुंए की मात्रा रात में बढ़ जाती है। जिसकी वजह से रात को कई बार लोगों को सोते समय खासी परेशानी होती है। जानकारों की मानें तो बिजली की दरों में वृद्धि होने के बाद फैक्ट्रियों ने कई प्रकार के हानिकारक पदार्थों को जलाना शुरू कर दिया है। जिससे प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है।
औद्योगिक इकाईयां स्वयं का लाभ बढ़ाने के चक्कर में स्थानीय लोगों की जान से खिलवाड़ कर रही हैं। प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अधिकारियों का कहना है कि प्रदूषण फैलाने वाली इकाईयों की नियमित जांच की जाती है। जिनके सैंपल फेल होते हैं, उन्हें सुधार करने के लिए नोटिस दिया जाता है।
सुधार न होने पर कार्रवाई की जाती है। विभागीय अधिकारी नियमानुसार कार्रवाई की बात कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं, लेकिन प्रदूषण मंडल की कार्रवाई का फैक्ट्रियों पर कोई असर नजर नहीं आ रहा है। फैक्ट्रियों से निकला काला धुंआ अभी भी हवा में जहर घोल रहा है।
करेंगे सख्त कार्रवाई प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के आरओ केसी गुप्ता ने कहा कि वायु प्रदूषणकारी उद्योगों की चिमनियों से निकलने वाले धुंए की जांच कराई जा रही है। मानक से अधिक उत्र्सजन पाए जाने पर औद्योगिक इकाई के विरूद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी।