scriptमॉब लिचिंग मामले में अलवर फिर सुर्खियों में, जनता ने भी व्यक्त की यह प्रतिक्रिया | Alwar again in the headlines in the Mob Litching case | Patrika News

मॉब लिचिंग मामले में अलवर फिर सुर्खियों में, जनता ने भी व्यक्त की यह प्रतिक्रिया

locationअलवरPublished: Jul 24, 2018 09:43:27 am

Submitted by:

Prem Pathak

मॉब लिचिंग में शामिल लोगों पर हो कार्रवाई

Alwar again in the headlines in the Mob Litching case

मॉब लिचिंग मामले में अलवर फिर सुर्खियों में, जनता ने भी व्यक्त की यह प्रतिक्रिया

अलवर. पिछले कुछ सालों में देशभर में मॉब लिचिंग से जुड़े घटनाओं ने करीब दो दर्जन से ज्यादा लोगों की जान ले ली है। मॉब लिचिंग यानि लोगों की भीड़ किसी को भी पकड़ पकड़ कर मारती है। पकड़े गए लोग गलत है या सही यह एक अलग विषय है। देश में इस तरह की घटनाएं अराजकता को जन्म दे रही हंै। इस तरह की घटनाओं से पूरा देश सहमा हुआ है किसी को नहीं पता की कब और कहां उनके साथ कोई हादसा हो जाए। दो दिन पहले अलवर में हुई रकबर की मौत से देश में अलवर का नाम एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। राजस्थान पत्रिका ने लोगों से बातचीत कर जाना कि क्या भीड़ लोगों को पकडकर मारती है, यही सही है या गलत। सुप्रीम कोर्ट ने मॉब लिचिंग को गंभीरता से लेते हुए केंद्र सरकार को इस पर कार्रवाई के लिए निर्देश जारी किए है । शीघ्र ही कोई कानून भी इस पर बन सकता है लेकिन फिलहाल सामाजिक व मानसिक स्तर हमें अपने आप को संभालने की जरुरत है।
मॉब लिचिंग के मामले देखकर लगता है कि लोगों का कानून व्यवस्था पर से विश्वास उठने लगा है। लोगों को लगता है कि कानून न्याय करने में समय लगता है इसलिए वो अपने स्तर पर ही दोषी को सजा देना चाहते हैं। एक व्यक्ति की सोच सबको सही लगती है और सब साथ देते हैं। लेकिन यह गलत है।
गुरप्रीत सिंह, व्यवसाई
उन्नाव की घटना हो या फिर त्रिपुरा की भीड़ अपना न्याय अपने आप करती है। वो उस समय गलत या सही सोचने की स्थिति में नहीं होती है। यह देश के लिए खतरनाक स्थिति है। यदि कोई व्यक्ति गलत है तो उसे कानून के हवाले करना चाहिए। हमें कानून को अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए।
रवि राजपूत, विद्यार्थी
हमारे देश में वसुधव कुटुंबकम की भावना से सबको एक साथ प्रेम से रहने की बात सीखाई जाती है। लेकिन भीड़ जब लोगों को मारती है तो ऐसा लगता है कि मनुष्य इंसान नहीं बल्कि जानवर बनता जा रहा है। उसके सोचने समझने की क्षमता खत्म हो रही है। हम सभी को मिलकर इस समस्या का हल निकालना होगा।
संजय चौहान, व्यवसायी
हमें इस बात पर मंथन की जरुरत है कि इतनी भीड़ अचानक से कैसे और कहां से आ जाती है। इसका कारण समाज के वो लोग हैं जो बिना सच जाने अपनी भड़ास किसी दूसरे पर निकालते हैं। भीड़ का गुस्सा किसी भी व्यक्ति पर निकल सकता है। भीड़ में शामिल की पहचान कर उनको सजा दी जानी चाहिए।
नीरज यादव, छात्र नेता
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो