मॉब लिचिंग के मामले देखकर लगता है कि लोगों का कानून व्यवस्था पर से विश्वास उठने लगा है। लोगों को लगता है कि कानून न्याय करने में समय लगता है इसलिए वो अपने स्तर पर ही दोषी को सजा देना चाहते हैं। एक व्यक्ति की सोच सबको सही लगती है और सब साथ देते हैं। लेकिन यह गलत है।
गुरप्रीत सिंह, व्यवसाई
गुरप्रीत सिंह, व्यवसाई
उन्नाव की घटना हो या फिर त्रिपुरा की भीड़ अपना न्याय अपने आप करती है। वो उस समय गलत या सही सोचने की स्थिति में नहीं होती है। यह देश के लिए खतरनाक स्थिति है। यदि कोई व्यक्ति गलत है तो उसे कानून के हवाले करना चाहिए। हमें कानून को अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए।
रवि राजपूत, विद्यार्थी
रवि राजपूत, विद्यार्थी
हमारे देश में वसुधव कुटुंबकम की भावना से सबको एक साथ प्रेम से रहने की बात सीखाई जाती है। लेकिन भीड़ जब लोगों को मारती है तो ऐसा लगता है कि मनुष्य इंसान नहीं बल्कि जानवर बनता जा रहा है। उसके सोचने समझने की क्षमता खत्म हो रही है। हम सभी को मिलकर इस समस्या का हल निकालना होगा।
संजय चौहान, व्यवसायी
संजय चौहान, व्यवसायी
हमें इस बात पर मंथन की जरुरत है कि इतनी भीड़ अचानक से कैसे और कहां से आ जाती है। इसका कारण समाज के वो लोग हैं जो बिना सच जाने अपनी भड़ास किसी दूसरे पर निकालते हैं। भीड़ का गुस्सा किसी भी व्यक्ति पर निकल सकता है। भीड़ में शामिल की पहचान कर उनको सजा दी जानी चाहिए।
नीरज यादव, छात्र नेता
नीरज यादव, छात्र नेता