नाटक मंचन के दौरान माया मछंदरनाथ के आदेश पर गोरखनाथ महाराजा भर्तृहरि को सांसारिक मोह माया से विरक्त करने के लिए क्रूरसिंह का रूप धर उज्जैन पहुंचते है और वीरता व विद्वता के बल पर महाराजा भर्तृहरि का विश्वास जीत दरोगा बन जाते हैं। वे रानी पिंगला को अपनी ओर आकर्षित कर मोहपाश में बांध लेते हैं। क्रूर सिंह सेठ मायदास के यहां कोठे पर जाने लगते हैं जहां वह मोहिनी से प्रेम करने लगते हंै। सेठ मायादास के यहां लगी महफि़ल दर्शकों को तालियां बजाने को मजबूर कर देती हैं। देर रात तक दर्शक नाटक देखने के लिए जमे रहे। नाटक का प्रदर्शन मंगलवार को भी किया जाएगा।
मछंदरनाथ की भूमिका रामनिवास सैनी, महाराजा भर्तृहरि की समीर तिवाड़ी, विक्रम की मोहन शर्मा, पिंगला की सोनिया, क्रूर सिंह की बाबूलाल सैनी, मोहिनी की जतिन बत्रा, विद्यासागर की के.ड़ी.शर्मा, राजपुरोहित की मोहन गुप्ता व बेताल की केशव शर्मा ने निभाई ।