अलवर जिले के 11 विधानसभा क्षेत्रों में से भाजपा के दक्षिण जिले में अलवर शहर, रामगढ़, राजगढ़-लक्ष्मणगढ़, कठूमर, अलवर ग्रामीण एवं थानागाजी शामिल किए गए हैं। वहीं उत्तर जिले में बहरोड़, बानसूर, मुण्डावर, किशनगढ़बास व तिजारा विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं।
दक्षिण जिले में सामान्य वर्ग का दबदबा
भाजपा के दक्षिण जिले में शामिल ज्यादातर विधानसभा क्षेत्रों में सामान्य वर्ग एवं अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति वर्ग का बड़ा वोट बैंक है। इनमें सामान्य वर्ग के मतदाता हर विधानसभा क्षेत्र में निर्णायक भूमिका निभाते रहे हैं। इन विधानसभा क्षेत्रों में ओबीसी व अन्य वर्ग के मतदाता तो हैं, लेकिन प्रभुत्व कम है। इस कारण भाजपा ने संगठनात्मक चुनाव में जिले भर के सामान्य वर्ग के मतदाताओं को साधने के लिए दक्षिण जिला सामान्य वर्ग के जिलाध्यक्ष के हवाले किया है।
उत्तर जिले में ओबीसी का प्रभुत्व ज्यादा भाजपा के उत्तर जिले के ज्यादातर विधानसभा क्षेत्रों में यादव, जाट व ओबीसी के अन्य वर्गों का बाहुल्य है। इस कारण भाजपा ने नए गठित उत्तर जिले में ओबीसी को जिलाध्यक्ष बनाया है। उत्तर जिले के पांचों विधानसभा क्षेत्रों में यादव, जाट, गुर्जर मतदाता अच्छी संख्या में हैं। यादव वोट बैंक पर भाजपा की लंबे समय से नजर रही है। यही कारण है कि चुनाव के दौरान इन क्षेत्रों में भाजपा की प्राथमिकता ओबीसी वर्ग को टिकट में प्रतिनिधित्व देने की रही है। संगठनात्मक चुनाव में भी पार्टी ने इन विधानसभा क्षेत्रों में ओबीसी वोट बैंक को जिलाध्यक्ष के जरिए साधने का प्रयास किया है।
पंचायत चुनाव होंगे नए नेतृत्व के लिए चुनौती भाजपा ने अलवर जिले में संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया सहजता से पूरी कर ली है। कुछ मंडलों के मण्डल अध्यक्षों की घोषणा होना अभी शेष है, वहीं पार्टी के मोर्चों व प्रकोष्ठों में भी मनोनयन का कार्य अभी होना है, लेकिन जिले में भाजपा के नव निर्वाचित जिलाध्यक्षों के लिए पंचायत चुनाव में पार्टी की नैया पार लगाने की बड़ी चुनौती है। कारण है कि पिछले दिनों हुए निकाय चुनाव में भाजपा जिले के तीनों निकायों में से एक में भी बोर्ड बनाने में कामयाब नहीं हो सकी। पंचायत चुनाव में भी पार्टी को अपनी साख बचाने की बड़ी चुनौती है।