50 लाख तो कालीचरण लेकर पार बोला यहां से महिला पार्षद : पहले से ही सेट था पवन पटवारी का कि धीरज को खड़ा करना है। पता नहीं उसने क्या जादू चलाया? बेवकू फ बनाने के लिए पार्षदों को पर्ची दी गई कि तुम तीन-तीन नाम लिखकर दो कि कौन-कौन दावेदार हैं?
कार्यकर्ता : हूं
पार्षद : बहुत सारे दावेदार थे रविंद्र जैन, अरुण जैन, विमल जैन, सुनीता खामरा, पाठक ये 6-7 आदमी दावेदार थे। इनको पूछा ही नहीं सबने हाथ भी खड़ा कर दिया। फिर हमने भी हाथ खड़ा कर दिया कि हम भी दावेदार हैं।
कार्यकर्ता : अच्छा
पार्षद : फिर कालीचरणजी ने एक-एक को बुलाया कि तुम कितना खर्च करोगे? तुम कितना खर्च करोगे? किसी ने कहा कि एक करोड़ खर्च कर देंगे किसी ने कहा कि डेढ़ करोड़ खर्च कर देंगे। फिर ये बीच में बोला कि मैं ढाई करोड़ खर्च करुंगा।
कार्यकर्ता : कौन बोला?
पार्षद : धीरज
कार्यकर्ता : इसके पास पैसे कहां से आएंगे? पार्षद : है ही नहीं पैसे इसके पास। खामखा बेवकू फ बनाया लोगों को इसने। लोगों को इसकी बात चुभ गई, इसने कहा था कि चेयरमैन तो मैं ही बनूंगा किसी को बनने नहीं दूंगा। अगर कोई बनेगा तो उसकी मैं क्रॉस वोटिंग कराउंगा। खाई नहीं तो लुढ़काई ही सही।
कार्यकर्ता : ओह हो
पार्षद : कुछ लोगों के सामने इसने कच्ची बात कर दी कि मैं ढाई करोड़ खर्च करुंगा। पांच-पांच लाख पार्टी के पार्षदों को दूंगा और 10-10 लाख रुपए निर्दलीयों को दूंगा।
कार्यकर्ता : हूं पार्षद : मुझसे कालीचरणजी ने सवाल किया कि तीन करोड़ खर्च करोगी। मेरे पास पैसे नहीं है मैं क्यों करुंगी तीन करोड़ खर्च। 35 साल से सेवा कर रही हूं भारतीय जनता पार्टी की। वो बोले नहीं पैसे तो खर्च करने पड़ेंगे।
कार्यकर्ता : अच्छा
पार्षद : इन्होंने किसी की पर्ची पर ध्यान नहीं दिया। धीरज को ले जाकर फार्म भरवा आए। तभी पांच-सात पार्षद उठकर चले गए। कार्यकर्ता : अच्छा पार्षद : जब पैसे का सवाल आया तो कल जैसे वोट डलेंगे और आज तक इसने किसी को एक पाई भी नहीं दी।
कार्यकर्ता : ओह हो
पार्षद : 50 लाख एक दिन पहले जमा कराए जो कालीचरण लेकर पार बोला यहां से।
कार्यकर्ता : अच्छा पार्षद : फिर ये बोला कि एक करोड़ और दूंगा। महिलाओं के पेट में दर्द चल रहा था कि ये पैसे कब देगा। महिलाएं मेरे पास आई और बोली कि आप हमारी आवाज बनकर जाओ विधायक और जिलाध्यक्ष वहां बैठे हैं। ये पैसे कब देगा? कुछ तो ये दे। ये कुछ भी नहीं दे रहा तो हम तो नोटा में वोट डाल आएंगे।
कार्यकर्ता : फिर
पार्षद : फिर मैं उनके पास गई और वो बोले कि करते हैं इंतजाम। दो-दो लाख दिए। जिसमें कइयों ने तो लिए ही नहीं। पाठक ने नहीं लिए, खामरा ने नहीं लिए, विमल जैन ने लिए जो नगर परिषद में तलाशी के दौरान पकड़े गए। हमने भी ले लिए। मैंने पूछा कितने है वो बोले दो। फिर बोले कि पार्टी ने ये ही तय किया है। फिर ये हार गया लोगों ने इसको वोट नहीं दिए।
कार्यकर्ता : फिर क्रॉस वोटिंग कैसे हो गई? अपने बाड़े में तो 34 थे ना।
पार्षद : जो नाराज थे और खड़ा होना चाहते थे जिनसे पूछा नहीं उन्होंने क्रॉस वोटिंग कर दी। ये पाठक-वाठक और रविंद्र जैन वगैरहा कई इससे नाराज थे कि इसको यहीं निपटा देते हैं। नहीं तो घनश्याम गुर्जर को पूरी वोट गई है 36 दूसरे ही दिन।
कार्यकर्ता : ये दो वोट कहां से आई अपनी।
पार्षद : अजय पूनिया और महेन्द्र वर्मा कांग्रेसियों ने डाली।
कार्यकर्ता : अच्छा पार्षद : हां, क्रॉस वोटिंग हुई है उनकी भी। जब ये रोने लग गया तो हम सबने वापस दे दिए इसको दो-दो लाख रुपए।
कार्यकर्ता : किसको?
पार्षद : कसाणा ने सारे पैसे धीरज को वापस दिला दिए। हमनें तो दे दिए। निर्दलीयों ने दिए या नहीं दिए ये पता नहीं।
कार्यकर्ता : संजय भाई का क्या था।
पार्षद : संजय का कोई दोष नहीं है।