नवजात की मौत के बाद जागे अस्पताल प्रशासन 31 दिसम्बर को नवजात की मौत के बाद जागा है। रेडिएंट वार्मर में शॉर्ट सर्किट से आग लगने के कारण एक नवजात पूरी तरह झुलस गई थी और जयपुर में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। इसके बाद सरकार ने दो चिकित्सक व तीन नर्सिंग स्टाफ को निलम्बित कर दिया। इससे पहले कोटा में एक माह में कई नवजात की मौत का मामला देश भर में मुद्दा बना हुआ था। जिसे देखते हुए अलवर अस्पताल प्रशासन ने एफबीएनसी वार्ड के दूसरे सभी वार्मर की जांच कराई। उसके बाद करीब 10 से अधिक वार्मर हटाने पड़े।
पिछले साल ज्यादा मौत जिले में पिछले तीन सालों में 2018-19 में सबसे अधिक शिशुओं की मृत्यु हुई है। इस साल सरकारी अस्पतालों में 71 हजार 705 प्रसव हुए। जिसमें से 1 हजार 492 शिशुओं की मृत्यु हो गई। इसी तरह 2017-18 में पूरे एक साल में 1099 शिशुओं की मृत्यु हुई। नवम्बर 2019 तक करीब 775 शिशुओ ंकी मौत हुई है।
ज्यादा कीमत भी नहीं जानकारी के अनुसार अस्पताल में लगे एक वार्मर की कीमत करीब 50 हजार रुपए के आसपास है। अस्पताल में हर साल करोड़ों रुपए का बजट आने के बावजूद शिशुओं के इलाज में काम आने वाले वार्मर का इंतजाम नहीं किया गया।