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अलवर से राजस्व लेना होता है तो सरकार जिले को बताती है एनसीआर का हिस्सा, लेकिन सुविधाएं देती हैं गांव जैसी

locationअलवरPublished: Aug 01, 2019 04:02:07 pm

Submitted by:

Lubhavan

Delhi NCR : अलवर दिल्ली एनसीआर में शामिल है, लेकिन एनसीआर की सुविधाएं नहीं मिल रही।

Alwar City Not Getting Benefits Of Delhi NCR

अलवर से राजस्व लेना होता है तो सरकार जिले को बताती है एनसीआर का हिस्सा, लेकिन सुविधाएं देती हैं गांव जैसी

अलवर. Delhi NCR : ( Delhi NCR ) राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परियोजना ( एनसीआर ) में शामिल होने के कारण अलवर को दिल्ली का हिस्सा माना जाता है और सरकार भी अपना खजाना भरने के लिए एनसीआर के नियमों का सहारा लेती है, लेकिन लोगों को सहूलियत देने की बारी आती है तो सरकार इन नियमों को भुला देती है। एनसीआर का सबसे ज्यादा खामियाजा किसानों को जमीन अधिग्रहण मामलों में उठाना पड़ा है।
( Alwar ) अलवर जिला एनसीआर में शामिल है, इस कारण यहां वाहन रजिस्ट्रेशन, पेट्रोल-डीजल की बिक्री सहित अन्य कार्यों में एनसीआर के नियम लागू होते हैं। यहां के लोगों को प्रदेश के अन्य जिलों से ज्यादा राशि कर के रूप में भी चुकानी पड़ती है। किसानों को जमीन अधिग्रहण के बदले मुआवजे की बात आती है तो उन्हें दिल्ली या आसपास के शहरों की दर से मुआवजे का भुगतान करने के बजाय अलवर जिले के ग्रामीण परिवेश का हवाला देकर भुगतान किया जाता है। इससे किसानों को बड़ा नुकसान भी उठाना पड़ता है।
एनसीआर से कम मिलता है

अलवर जिले को एनसीआर में शामिल करने के बाद जिले भर में जमीन के बाजार बढ़े हैं, जबकि डीएलसी दर वहां बहुत कम है। ऐसे में किसानों को भूमि का मुआवजा राशि वास्तविक मूल्य से काफी कम मिलता है। जबकि दिल्ली, गुडगांवा, मेरठ एवं हरियाणा में भूमि के बाजार भाव के साथ ही डीएलसी दर भी ज्यादा है। ऐसे में वहां किसानों को मुआवजा राशि भी अलवर जिले की तुलना में ज्यादा
मिलती है।
डीएलसी दर आधार

एनसीआर में शामिल जिलों में भूमि अधिग्रहण व भूमि के मुआवजा वितरण के नियम समान होने चाहिए। जबकि भूमि अधिग्रहण के दौरान प्राय: उस क्षेत्र की डीएलसी दर को ही आधार बना कर मुआवजे का निर्धारण कर दिया जाता है, जिससे किसानों को भूमि का मुआवजा जमीन की वर्तमान बाजार दर से काफी कम मिलता है।
निर्धारण में किसानों का ध्यान

भूमि अधिग्रहण के दौरान मुआवजा निर्धारण में किसानों के हितों का पूरा ध्यान रखा जाता है। मुआवजा निर्धारण करते समय किसानों के भवन, पेड व अन्य सम्पत्तियों को मुआवजे में जोडऩे के निर्देश हैं। जमीन अधिग्रहण में किसानों को नुकसान नहीं हो, इसके लिए समय-समय पर भूमि की डीएलसी दर में बदलाव किया जाता है।
इंद्रजीत ङ्क्षसह, जिला कलक्टर अलवर
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