अलवर

चार सांसदों का जिला, साढ़े 3 साल में अलवर को क्या मिला, जानिए चारों सांसदों का विकास में कितना रहा योगदान

अलवर जिले की जनता लोकसभा में चार सांसद चुनकर भेजती है। लेकिन इसके बदले जिले में क्या विकास कार्य हुए, जानते हैं इस रिपोर्ट में-

अलवरOct 22, 2021 / 06:29 pm

Hiren Joshi

चार सांसदों का जिला, साढ़े 3 साल में अलवर को क्या मिला, जानिए चारों सांसदों का विकास में कितना रहा योगदान

अलवर. प्रदेश में संभवत: अलवर जिला अकेला हैं, जहां से चार सांसद संसद में चुनकर पहुंचते हैं। चार सांसदों के प्रतिनिधित्व के बावजूद अलवर जिला विकास के सौपान छू पाने में अछूता ही रहा है। आबादी, भौगोलिक, औद्योगिक एवं खनिज सम्पदा में सम्पन्न होने के बाद भी बीते साढ़े तीन साल में जिले को वह सब नहीं मिल पाया, जिसका वह हकदार हैं। 17 वीं लोकसभा के चार सांसदों का अब तक अलवर जिले में 9 करोड़ 35 लाख 60 हजार रुपए का विकास में योगदान रह पाया है। यह राशि चारों सांसदों ने अपने सांसद कोटे से विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में विकास कार्यों के लिए स्वीकृत की है।

राष्ट्रीय राजधानी परियोजना में शामिल होने के बाद भी अलवर जिले में अब तक अपेक्षित विकास नहीं हो सका। देश व प्रदेश के बड़े शहरों से अब तक एयर कनेक्टिविटी की सुविधा नहीं मिल पाई है। रेलवे की ब्रॉड गेज लाइन जरूर है, लेकिन उच्च श्रेणी की रेल सेवा का अभी इंतजार है। देश व प्रदेश की राजधानी के मध्य स्थित होने के बाद भी अलवर जिला अब तक मेट्रो सेवा व रेपिड रेल से नहीं जुड़ सका है। कहने को जिले में भिवाड़ी, नीमराणा एवं अलवर स्थित मत्स्य औद्योगिक क्षेत्र हैं, लेकिन युवाओं की रोजगार की मांग पूरा करने में अभी तक ये सक्षम नहीं हो पाए हैं। विकास की दौड़ में पिछडऩे के कारण अलवर अब तक संभागीय आयुक्त का दर्जा तक नहीं पा सका है। इतना ही नहीं अलवर जिले से अनेक बड़े कार्यालय भी उठकर भरतपुर एवं अन्य जिलों में चले गए।

राजस्व देने में कई जिलों से आगे

अलवर जिला प्रदेश सरकार की तिजोरी भरने में आगे रहा है। अकेले सेल्स टैक्स विभाग प्रति वर्ष राज्य सरकार को 120 से 130 करोड़ का राजस्व देता है, वहीं खनन विभाग भी हर साल 80 करोड़ से ज्यादा का राजस्व देता है। इसके अलावा परिवहन व आबकारी विभाग भी अलवर जिले से राज्य सरकार को हर साल करोड़ों रुपए का राजस्व मुहैया कराता है, फिर भी अलवर जिले को बदले में विकास कार्यों के नाम पर सिर्फ सरकार की सामान्य घोषणाएं ही मिल पाती हैं।

केन्द्र से नहीं मिल पाई बड़ी सौगात

अलवर जिले से चार सांसद होने के बाद भी केन्द्र सरकार से पिछले साढ़े तीन साल में कोई बड़ी सौगात नहीं मिल पाई। चारों सांसद विकास के नाम पर केवल सांसद कोटे की राशि विकास कार्यों के नाम पर देते रहे हैं। कोरोना के चलते पिछले दो साल से सांसद कोटा स्थगित होने से जिले को यह राशि भी नहीं मिल पाई है। पूरे कोरोनाकाल में अलवर जिले को स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार के नाम पर पीएम केयर्स फंड से केवल एक ऑक्सीजन प्लांट एवं कुछ वेंटीलेटर ही मिल पाए। वहीं सांसद भी मास्क व सेनेटाइजर ही बांटते रहे।

कहने को चार सांसद, फिर भी जिला बेगाना

कहने को अलवर जिले में चार सांसद हैं, लेकिन हकीकत यह है कि दौसा, भरतपुर व जयपुर ग्रामीण के तीन सांसदों का ज्यादा ध्यान अपने लोकसभा क्षेत्रों तक सीमित रहा है। कारण है कि इन तीनों सांसदों के एक-एक विधानसभा क्षेत्र अलवर जिले में शामिल हैं। इसलिए इन सांसदों के लिए अलवर जिला दोयम दर्जे का रहा। इन सांसदों का सांसद कोटे के वितरण में भी पूरा ध्यान अपने लोकसभा क्षेत्र के मूल विधानसभा क्षेत्रों तक ही सिमटा रहा। अलवर सांसद के हिस्से में जिले के 8 विधानसभा क्षेत्र आते हैं, इस कारण विकास की योजना एवं सांसद कोटे के वितरण में अलवर सांसद भी अपने 8 विधानसभा क्षेत्रों से आगे सोच नहीं बना पाए। यही कारण है कि चार सांसदों के प्रतिनिधित्व के बाद भी अलवर जिला विकास की दौड़ में पीछे ही छूट गया।

सामूहिक योजना तो दूर, बैठकों में ही नहीं आते

अलवर जिले का प्रतिनिधित्व करने वाले चारों सांसदों की ओर से विकास की सामूहिक योजना तो बनाना दूर, कभी एक साथ जिला मुख्यालय पर होने वाली सरकारी बैठकों में जिले के विकास की आवाज तक नहीं उठाई। जिला परिषद, मेवात विकास एवं अन्य योजनाओं से जुड़ी ज्यादातर बैठकों में सांसद नजर नहीं आते। पिछले दो दशक में एक भी मौका ऐसा नहीं आया जब किसी बैठक या अन्य मंच पर जिले के चारों सांसद एक साथ नजर आए हों या विकास की किसी योजना पर चर्चा की हो।

अटकी रही विकास की योजनाएं

जिले के सभी 11 विधानसभा क्षेत्रों में पानी की समस्या बड़ी है। सतही जल अलवर लाने के लिए चम्बल सहित ईस्टर्न कैनाल व कई अन्य योजनाएं बनी, लेकिन इनमें से एक भी योजना अब तक मूर्तरूप नहीं ले सकी। जबकि ईस्टर्न कैनाल योजना केन्द्र व राज्य सरकार के समन्वय के अभाव में अटकी है, लेकिन इसके लिए भी चारों सांसदों के सामूहिक प्रयास नगण्य रहे हैं। वहीं हवाई अड्डा, हवाई पट्टी, रेल सुविधाओं से अछूते क्षेत्रों में रेल लाइन स्वीकृत करने,
औद्योगिकीकरण को गति देने, बड़े उद्योगों की जिले में स्थापना, उच्च शिक्षण व स्वास्थ्य संस्थान की स्थापना को लेकर प्रयास ही शुरू नहीं हो पाए।

जिले के विकास में चार सांसदों का योगदान
सांसद— जारी राशि— स्वीकृत कार्य

अलवर— 8.07 करोड़—165

भरतपुर— 78.98 लाख— 36

दौसा— 47.62 लाख—-11

जयपुर ग्रामीण— 2 लाख— 01
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