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राजस्थान के इन युवा डॉक्टरों ने किया कमाल, नवजात के खून का कतरा-कतरा बदलकर किया इलाज, बच्चे को मिला नया जीवन

locationअलवरPublished: Apr 18, 2019 04:29:37 pm

Submitted by:

Hiren Joshi

अलवर के डॉक्टरों ने पीलिया बीमारी से पीढि़त एक शिशु के खून का कतरा-कतरा बदल दिया।

Alwar Doctors Gave New Life To A Child Suffering From jaundice

राजस्थान के इन युवा डॉक्टरों ने किया कमाल, नवजात के खून का कतरा-कतरा बदलकर किया इलाज, बच्चे को मिला नया जीवनं

अलवर. मरीज के लिए डॉक्टर भगवान होता है। अलवर के चिकित्सकों ने एक बार फिर ये साबित कर दिखाया है। राजकीय गीतानंद शिशु चिकित्सालय के तीन डॉक्टरों ने पांच दिन के नवजात शिशु के शरीर के खून का कतरा-कतरा बदल उसकी जान बचा ली। शिशु अब पूरी तरह से स्वस्थ है और एफबीएनसी यूनिट में भर्ती है।
मालाखेड़ा के खारेड़ा गांव से पांच दिन के नवजात शिशु को मंगलवार शाम अलवर के राजकीय गीतानंद शिशु चिकित्सालय की इमरजेंसी में भर्ती कराया गया। शिशु काफी सुस्त था और उसका पूरा शरीर और आंखें पीले हो रहे थे। जांच में शिशु के रक्त में बिली रुबीन की अधिक मात्रा होने से पीलिया होना पाया गया। शिशु को एफबीएनसी यूनिट में भर्ती कर देर रात डॉ. कृपाल यादव, डॉ. जगदीश यादव और डॉ. पंकज सैनी की टीम ने शिशु के शरीर के खून को बदल दिया लेकिन कुछ ही घंटों बाद उसके रक्त में फिर से बिली रुबीन की मात्रा बढ़ गई लेकिन चिकित्सकों की टीम ने बुधवार शाम दोबारा खून का कतरा-कतरा बदल कर शिशु की जान बचा ली।
शिशु का ओ-पॉजिटिव और मां का ओ-नेगेटिव

जांच में शिशु का ब्लड ग्रुप ओ-पॉजीटिव और उसकी मां का ब्लड ग्रुप ओ-नेगेटिव पाया गया। जिसके कारण पीलिया लगातार बढ़ रहा था। इसलिए शिशु के शरीर से रक्त को तत्काल बदलना आवश्यक था। दिमाग में पीलिया का असर होने पर शिशु अपंग हो सकता था या फिर उसकी जान भी जा सकती थी।
रक्त बदलने की प्रक्रिया जटिल

अस्पताल के चिकित्सक डॉ. कृपाल यादव ने बताया कि शरीर से रक्त बदलने की प्रकिया जटिल होती है, जिसमें बच्चे की जान को भी खतरा हो सकता है। अलवर में ये दूसरा मामला है। इससे पहले वर्ष-2013 में भी चिकित्सकों ने एक बच्चे के शरीर का रक्त बदला था। ऐसे मामलों को अक्सर जयपुर रैफर किया जाता रहा है।
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