स्वतंत्रता सेनानी भंवर का निधन साढ़े तीन साल पहले ही मालाखेड़ा तहसील के जमालपुर गांव निवासी भंवरसिंह का नाम प्रशासन की स्वतंत्रता सेनानियों की सूची में दर्ज है। प्रशासन की नजर में भंवर सिंह राज्य सरकार की ओर से स्वतंत्रता सेनानियों को दी जाने वाली पेंशन का भुगतान ले रहे हैं, जबकि उनका निधन 5 जनवरी 2015 को हो चुका है। खास बात यह कि स्वतंत्रता सेनानी की अंत्येष्टि भी राजकीय सम्मान के साथ की जा चुकी है। अंत्येष्टि में जिला प्रशासन की ओर से अतिरिक्त जिला कलक्टर, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, तहसीलदार मालाखेड़ा शामिल हुए और पुलिस की टुकड़ी ने गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया। फिर भी सरकारी रिकॉर्ड में भंवरसिंह अब भी जीवित हैं।
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने दिलाया निर्वाह भत्ता स्वतंत्रता सेनानी भंवरसिंह के पुत्र दुर्गासिंह का कहना है कि उनके पिता का निधन 5 जनवरी 2015 को हो चुका है और प्रशासन की ओर से राजकीय सम्मान से उनकी अंत्येष्टि भी कराई जा चुकी है, जिसमें जिला प्रशासन व पुलिस के अधिकारी भी शामिल हुए और उनके पिता की पार्थिव देह पर पुष्पचक्र भी अर्पित किए। दुर्गासिंह के अनुसार उनके पिता आजाद हिंद फौज के सदस्य थे और द्वितीय विश्व युद्ध खत्म होने के बाद भी उन्हें 9 साल जेल में बिताने पड़े थे। सजा भुगतने के बाद उनके पिता भारत लौटे। बाद में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें निर्वाह भत्ता के रूप में कुछ राशि स्वीकृत की, जो केन्द्र सरकार से मिलती रही। इसके बाद राज्य सरकार ने भी निर्वाह भत्ता शुरू किया।
जमीन आवंटन के लिए भटक रहे हैं पुत्र दुर्गासिंह ने बताया कि 5 जनवरी 2015 को उनके पिता भंवरसिंह का निधन हो गया। उनकी मृत्यु के बाद किसी भी प्रकार की पेंशन या कोई लाभ नहीं मिल रहा है। जमीन आवंटन की पत्रावली को लेकर जगह-जगह चक्कर काट रहे हैं लेकिन कोई हल नहीं निकल रहा उनके निधन के बाद अब तक हमारे परिवार को किसी भी प्रकार का आर्थिक लाभ या अन्य कोई लाभ नहीं मिला है ।