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चौंकिए मत! ये अलवर का सरकारी अस्पताल है, लॉक डाउन में हुआ कायाकल्प, अब अंदर से ऐसा दिखता है

locationअलवरPublished: Jul 20, 2020 04:20:41 pm

Submitted by:

Lubhavan

लॉक डाउन के दौरान पिछले दो माह से अलवर सामान्य अस्पताल में काफी बदलाव आया है, यहां यूआईटी की ओर से कार्य हुए हैं जिससे इसकी तस्वीर बदल गई है

Alwar General Hospital Condition Changed During Lock Down

चौंकिए मत! ये अलवर का सामान्य अस्पताल है, लॉक डाउन में हुआ कायाकल्प, अब अंदर से ऐसा दिखता है

अलवर. कोरोना के संक्रमण के दौरान जिला अस्पताल की कायाकल्प हो गई है। अस्पताल में वार्ड हो आइसीयू या फिर गैलरी और बाहरी जगह। हर तरफ बदहाली को दुरुस्त कर नया रूप दिया है। अब जिला अस्पताल देखने में लगता नहीं है कि पहले वाला सरकारी हॉस्पिटल है। जिले के किसी भी निजी अस्पताल से तुलना करने पर जिला अस्पताल ही बेहतर लगता है।
अस्पताल को ऐसा बनाने में जिला प्रशासन, अस्पताल प्रशासन के प्रयासों के अलावा सबसे अधिक अलवर यूआईटी का योगदान है। जिसके जरिए करीब दो माह से अस्पताल परिसर में कार्य जारी है। यूआईटी की टीम के साथ पूर्व सचिव जितेन्द्र सिंह नरूका ने पूरी रुचि ली है। पानी की लाइन व ऑक्सीजन लाइन डालने के कार्य अलग से हुए हैं। हालांकि अभी कई वार्डों के अलावा कुछ काम होना बाकी है।
क्या-क्या कार्य हुए

यूआईटी ने फीमेल वार्ड में शौचालय मरम्मत, मेल सर्जिकल व फीमेल सर्जिकल में शौचालय मरम्मत, कोरोना आइसीयू व सर्जिकल आइसीयू में एल्यूमिनयम पार्टिशन, रंग पेंट कराया है। सभी आइसीयू बैड सेपरेशन किए। पीपीई किट चेंज करने के लिए एल्युमिनियम चैंबर बनाए, ओपीडी के बाहर मरीजों के बैठने की जगह, कोरोना ओपीडी का अलग से रास्ता, अस्पताल में लिफ्ट मरम्मत व विद्युत मरम्मत के कार्य कराए हैं। पानी व गैस की लाइन डालने का कार्य अलग से हुआ है।
चौंकिए मत! ये अलवर का सामान्य अस्पताल है, लॉक डाउन में हुआ कायाकल्प, अब अंदर से ऐसा दिखता है
अब वेंटिलेटर भी आ गए

अस्पताल प्रशासन व जिला प्रशासन ने भामाशाहों से भी बड़ा सहयोग लिया है। कूलर व एसी की कमी पूर्ति हो गई है। गर्मी के दिनों में यहां मरीजों को राहत मिली है। जबकि इससे पहले कूलर तक नहीं थे। अब वेंटिलेटर भी नए आए हैं।
अभी कार्य बाकी

ओपीडी, ट्रोमा व डक्टिंग सहित कई अन्य जगहो पर कार्य कराने की जरूरत है। वैसे यूआईटी ने अच्छा कार्य कराया है लेकिन, काम कराने की और जरूरत है।
डॉ सुनील चौहान, पीएमओ, अलवर
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