खास बात यह है कि जयपुर के एसएमएस में आई वार्ड में 10 गुना ज्यादा चिकित्सक है। जिसमें सीनियर रेजिडेंट भी शामिल है इसके बाद भी अलवर के अस्पताल में मेडिकल कॉलेज स्तर के उच्च क्वालिटी के ऑपरेशन किए जा रहे हैं। अलवर में नेत्र विभाग में वर्तमान में मात्र तीन ही नेत्र चिकित्सक है। जो पूर्व में सेवानिवृत्त हो चुके हैं उनकी जगह कोई नई नियुक्ति नहीं दी गई है। तीन में एक नेत्र चिकित्सक अस्पताल के पीएमओ पद पर कार्यरत हैं। इसके बाद भी नेत्र चिकित्सक और आउटडोर और इंडोर दोनों का काम देखते हुए ऑपरेशन की कमान संभाले हुए हैं।
कोरोना के बाद फिर पकड़ी रफ्तार वर्ष 2020 में कोरोना काल के दौरान लॉकडाउन अवधि में अप्रैल और मई माह में ऑपरेशन नहीं हो पाए। जून और जुलाई में भी यह संख्या कम रही लेकिन इसके बाद नेत्र ऑपरेशन ने रफ्तार पकड़ी और आज राजस्थान की राजधानी से भी आगे निकल आए हैं।
अलवर में नेत्र रोगियों को बेहतर उपचार और बेहतर सुविधाओं मिलने के कारण अलवर जिले से ही नहीं बल्कि दौसा, भरतपुर, करौली ,नूह मेवात ,मथुरा ,आगरा जयपुर के बैराठ, दौसा , बांदीकुई आदि जगहों से भी बड़ी संख्या में होगी नेत्र ऑपरेशन के लिए आ रहे हैं। सबसे खास बात यह है कि यहां आने के बाद ऑपरेशन कराने वाले मरीज को सभी सुविधाएं निशुल्क दी जाती है अलवर के अस्पताल में बिना टांके वाले और फेको पद्धति से नेत्र ऑपरेशन किए जाते हैं।
क्षमता से ज्यादा बैड देकर मरीजों को राहत सामान्य चिकित्सालय में वर्तमान में चारपाई वार्ड है जिसमें 44 बेड की सुविधा है। जबकि विभाग की ओर से 24 बेड की स्वीकृत है। ज्यादा से ज्यादा लोगों के ऑपरेशन हो सके। इसलिए बड़ों की संख्या बढ़ा दी गई है। प्रतिदिन कार्य दिवस में ऑपरेशन किए जाते हैं अवकाश के दौरान इमरजेंसी ऑपरेशन होते हैं।
स्टाफ मानवीय दृष्टिकोण से करता है मदद सबसे खास बात यह है कि यदि यहां पर नेत्र ऑपरेशन करने वाले मरीज के साथ यदि कोई परिजन साथ नहीं होता है तो ऐसे में अस्पताल का नर्सिंग स्टाफ मानवीय दृष्टिकोण से आगे बढ़कर मरीज की मदद करता है। अस्पताल में निशुल्क दवा निशुल्क ऑपरेशन के साथ डांस भी निशुल्क दिए जाते हैं।
अस्पताल में कई तरह के होते हैं ऑपरेशन अस्पताल में मोतियाबिंद ,काला पानी, नाखुना व नासूर के अलावा पलकों से संबंधित ऑपरेशन भी किए जाते हैं । जिन्हें बाहर से करवाने पर मरीज को काफी पैसा खर्च करना पड़ता है। इसके साथ ही मरीज को यहां रहने की सुविधा भी निशुल्क है।
पहले कई निजी संस्थाओं की ओर से ऑपरेशन शिविर लगाए जाते थे जो कोरोना की वजह से बंद है । ऐसे में सरकारी अस्पताल में ऑपरेशन होने से लोगों को राहत मिल रही है।
अलवर जिला नेत्र ऑपरेशन में जयपुर के एफएमएस से भी आगे हैं। प्रतिदिन 400 से ज्यादा ऑपरेशन किए जाते हैं मरीजों के परिजन नहीं होने पर उनको संभालने का काम स्टॉफ करता है। मरीजों को कोई शुल्क नहीं देना पड़ता।
डॉक्टर सुनील चौहान, पीएमओ, सामान्य चिकित्सालय, अलवर