free test in hospital : राज्य सरकार की ओर से सरकारी अस्पतालों में मरीजों के लिए 56 प्रकार की जांचें नि:शुल्क हैं। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने थायरायड, डायबिटिज और हार्मोन्स जैसी 36 प्रकार की सामान्य जांचों के लिए राज्यभर में एक ही फर्म को ठेका दिया हुआ है, जबकि सीटी स्कैन, एमआरआई और ब्लड सम्बन्धी जांचों के लिए जिलास्तर पर अलग-अलग फर्मों को टेंडर दिया हुआ है। विभाग ने राज्यभर में जिस फर्म को मरीजों की जांच का टेंडर दिया हुआ है उसकी सामान्य जांचों की रिपोर्ट भी मरीजों को 2 से 10 दिन में मिल रही है। वहीं, स्थानीय स्तर पर हो रही सीटी स्कैन और एमआरआई जैसी गंभीर जांचों की रिपोर्ट मरीजों को मात्र दो घंटे में प्राप्त हो रही हैं।
पहले भी जांच पर उठ चुके हैं सवाल राजीव गांधी सामान्य अस्पताल से मरीजों के सेम्पल लेकर कोरियर के माध्यम से जांच के लिए बाहर भेजे जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में जांच सेम्पल खराब या लीक होने का पूरा खतरा बना रहता है। पूर्व में भी कई बार ऐसा सामने आ चुका है कि सामान्य अस्पताल की जांच रिपोर्ट में मरीज को डेंगू पॉजीटिव आया और जयपुर के एसएमएस अस्पताल में जांच में डेंगू नेगेटिव पाया गया।
फिर वही गलती दोहराने की तैयारी चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क जांचों के लिए 7 जुलाई को टेंडर प्रक्रिया होनी है। विभाग फिर से विभिन्न प्रकार की 40 जांचों के लिए राज्य में एक ही फर्म को ठेका देने की तैयारी में है। यदि इन जांचों का ठेका जिलास्तर पर दिया जाए तो जांच में गुणवत्ता और पारदर्शिता आएगी।
जांच कहां हो रही, कोई अता-पता नहीं राज्य के सरकारी अस्पतालों में 36 प्रकार की जांचों के लिए विभाग ने क्रशना लैब पुणे को ठेका दिया हुआ है। जिसकी अलवर में कोई लैब नहीं है। अस्पताल सूत्रों के अनुसार लैब के कर्मचारी राजीव गांधी सामान्य अस्पताल में बैठकर मरीजों के सेम्पल एकत्रित करते हैं। इसके बाद उन्हें जांच के लिए बाहर भेजते हैं। इन सैम्पलों की जांच कहां होती है इसका कोई अता-पता नहीं है।
सरकार स्तर पर टेंडर प्रक्रिया सरकारी अस्पतालों में मरीजों की नि:शुल्क जांचों की टेंडर प्रक्रिया सरकार के स्तर पर की जा रही है। सरकार के स्तर पर जो भी व्यवस्था की जाएगी, उसकी बेहतर तरीके से पालना कराई जाएगी।
– डॉ. सुशील बत्रा, डिप्टी कंट्रोलर, सामान्य अस्पताल, अलवर।