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जिले के इस अस्पताल में इलाज के बजाय कूड़े में पहुंच रही सरकारी दवाएं, जाने आप भी

locationअलवरPublished: Jun 10, 2018 11:19:38 am

Submitted by:

Prem Pathak

15 दिनों की दवा लिखवा कर ले जाते हैं मरीज, तीन से चार दिनों से ज्यादा नहीं खाते दवाएं

Alwar : govvernment medicines reaching in the bed

जिले के इस अस्पताल में इलाज के बजाय कूड़े में पहुंच रही सरकारी दवाएं, जाने आप भी

अलवर एक ओर जहां लोग महंगी दवा के चलते बीमारियों का इलाज नहीं करा पा रहे हैं, वहीं सरकारी अस्पतालों में चिकित्सक अनावश्यक रूप से लोगों को जरूरत से ज्यादा दिनों की दवा लिख रहे हैं। यही कारण है कि शहर में आए दिन कचरे के ढेर में सरकारी दवाएं मिल रही हैं।
शहर के नयाबास चौराहे पर कचरे पात्र के पास सड़क पर सरकारी अस्पताल में मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना के तहत मिलने वाली दवाएं पड़ी मिली। इसी तरह के हालात सामान्य अस्पताल के कचरे में भी नजर आए। शहर के विभिन्न हिस्सों में इसी तरह के हालात दिखाई पडते हैं। दरअसल सरकारी अस्पताल में मरीजों को निशुल्क दवाएं मिलती हैं। नियम के हिसाब से डॉक्टर एक बार में मरीज को 5 दिन व सात दिन की दवाएं लिख सकते हैं। लेकिन मरीज डॉक्टर पर दबाव बनाकर 15 दिनों की दवाएं लिखवा रहे हैं। शुक्रवार को एक मरीज ने दो पर्ची बनवाई। एक नर्बदा व दूसरी रतना सिंह के नाम की। दोनों की पर्ची में एक जैसी दवाएं लिखी हुई थी। दोनों में 15-15 दिनों की दवाएं लिखी गई थी। इस हिसाब से 30 दिन की दवाएं मरीज के पास पहुंच गई। अस्पताल में प्रतिदिन सैकड़ों मामले इस तरह के आते हैं।
घर बैठे पहुंच जाती हैं दवाएं

कुछ लोग अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर पर्ची बनवा कर दवाएं ले जाते हैं। नियमों के मुताबिक यह गलत है। मानसिक रोगियों के मामले में इस तरह की शिकायतें आए दिन मिलती हैं।
क्या कहते हैं डॉक्टर

प्रत्येक बीमारी का उपचार अलग हिसाब से होता है। कई बीमारियों में मरीज को तीन दिन की दवाओं से आराम हो जाता है। जबकि कुछ को पांच दिनों की दवा की आवश्यकता होती है। लेकिन पहले मरीज को कम दिन की दवा देनी चाहिए। बाद में उन दवाओं के प्रभाव के हिसाब से आगे की दवा निर्धारित करनी चाहिए।
डॉ. राजीव सक्सेना, पूर्व आईएमए अध्यक्ष

बीमारी के हिसाब से मरीज को दवा दी जाती है। नियम के हिसाब से डॉक्टरों को पाबंद किया जाएगा। जिससे दवाएं बर्बाद नहीं हो। मरीजों को भी इस तरफ थोड़ा ध्यान देना चाहिए। क्योंकि दवाओं के शरीर पर नुकसान भी पड़ते हैं।
डॉ. भगवान सहाय, प्रमुख चिकित्सा अधिकारी, अलवर
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