अंदर से नहीं बाहर से नजर आते हैं टूटे खिडक़ी व दरवाजे वार्ड में टूटे खिडक़ी व दरवाजों को सुबह पर्दों से ढक दिया जाता हैए इससे अधिकारियों को ये नजर ही नहीं आते हैं। इधरए जनाना अस्पताल के हाल भी खराब ही हैं । यहां पर जज्जा व बच्चा भर्ती होने के बावजूद चिकित्सा विभाग का इस और ध्यान नहीं रहता। वार्ड की खिड़किया टूटी हुई है जिससे रात के समय वार्ड में सीधे ही हवा अंदर आ जाती है। नवजात बच्चों को सर्दी लगने का खतरा रहता है। यहां हालात यह है कि वार्ड के अंदर से तो मरीज के परिजन टूटे खिडक़ी व दरवाजों को कपडे लगाकर ढक़ देते हैं लेकिन बाहर से खिड़कियों के टूटे शीशे व टूटी जालियां साफ नजर आती है।
कूलर लगाकर कर रहे सुरक्षा अस्पताल के पीछे की तरफ से टूटी हुई खिड़कियों को कूलर लगाकर ढक़ा हुआ है। जबकि तेज सर्दी में इन कुलरों का कोई काम ही नहीं है। प्रसव होने के बाद जच्चा व बच्चा की स्थिति बहुत ही नाजूक रहती है। ऐसे में हल्की सी भी ठंड उनके लिए जानलेवा साबित हो सकती है। खिड़कियों के टूटे हुए शीशे व जालियों से गर्मियों व बरसात में मच्छर आते हैं इससे मौसमी बीमारियों के फैलने का डर रहता है।
वर्जन सभी खिडक़ी व दरवाजे जिनके शीशे व जालियां खराब हो गए हैं । उनके प्रस्ताव तैयार करवाकर भिजवाए गए हैं ।शीघ्र ही काम शुरु हो जाएगा।डाक्टर सुनील चौहानए पीएमओए सामान्य चिकित्सालयए अलवर।