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दिल्ली- जयपुर के बीच और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर फिर भी अलवर से पर्यटक दूर, सरिस्का, पेंथर सफारी, झीलें होने के बाद भी पर्यटन विकास नहीं

अलवर जिला अरावली की वादियों से घिरा होने तथा सरिस्का बाघ परियोजना, अजबगढ़ भानगढ़, सिलीसेढ़ झील सहित अनेक पर्यटक स्थलों से भरपूर हैं, लेकिन इन पर्यटन स्थलों का पर्याप्त प्रचार प्रसार नहीं हो पाने से पर्यटक अलवर नहीं पहुंच पा रहे हैं।

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अलवर

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Hiren Joshi

Jan 14, 2022

Alwar Is Not Growing In Terms Of Tourism 10101

दिल्ली- जयपुर के बीच और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर फिर भी अलवर से पर्यटक दूर, अरावली, सरिस्का, पेंथर सफारी, झीलें होने के बाद भी पर्यटन विकास पर नहीं ध्यान

अलवर. प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर एवं राजधानी दिल्ली एवं जयपुर के बीच होने के बाद भी पर्यटकों की पहुंच से अभी दूर बना हुआ है। यह स्थिति तो तब है जब अलवर जिला अरावली की वादियों से घिरा होने तथा सरिस्का बाघ परियोजना, अजबगढ़ भानगढ़, सिलीसेढ़ झील सहित अनेक पर्यटक स्थलों से भरपूर हैं, लेकिन इन पर्यटन स्थलों का पर्याप्त प्रचार प्रसार नहीं हो पाने से पर्यटक अलवर नहीं पहुंच पा रहे हैं।

अलवर जिले में 52 ऐतिहासिक किले, सरिस्का बाघ परियोजना, सिलीसेढ़ झील, अजबगढ़ भानगढ़ सहित अनेक पर्यटक स्थल हैं। इसके अलवर ऐतिहासिक पाण्डुपोल मंदिर, योगी राज भर्तृहरि की तपोभूमि, नीलकण्ठ सहित अनेक धार्मिक पर्यटन स्थल है। वहीं जयसमंद, मानसरोवर सहित अनेक बांध होने के बाद भी अलवर जिला अभी पूरी तरह पर्यटन मानचित्र पर उभर नहीं पाया है। इस कारण देश विदेश के पर्यटकों की अलवर जिले के पर्यटन स्थलों पर पहुंच भी अन्य जिलों से काफी रही है।

पर्यटन स्थलों की मार्केटिंग का अभाव

अलवर जिले में अनेक पर्यटक स्थल, ऐतिहासिक किले एवं प्राचीन बावड़ी आदि की देश- विदेश स्तर पर पर्याप्त मार्केटिंग नहीं हो पाई है। इस कारण जिले के ज्यादातर पर्यटन स्थल अभी विदेशी एवं महानगरों के पर्यटकों की पहुंच से दूर बने हुए हैं। पर्यटक स्थलों एवं वहां की खूबियों की जानकारी नहीं होने से अलवर जिला पर्यटकों के ट्यूर मैप पर पूरी तरह नहीं आ सका है। जबकि प्रदेश के जयपुर, जोधपुर, जैसलमेर, अजमेर, उदयपुर आदि जिलों के पर्यटक स्थल प्रचार प्रसार के चलते देशी व विदेशी पर्यटकों की पसंद बने हुए हैं। जबकि पर्यटक स्थलों की महत्वता के लिहाज से अलवर जिला प्रदेश के अन्य जिलों से आगे है, लेकिन इनकी मार्केटिंग नहीं होने से यहां के पर्यटक स्थल अन्य जिलों के पर्यटक स्थलों से बौने साबित हो रहे हैं।

अलवर का संग्रहालय भी दूसरे जिलों से अलग

अलवर का संग्रहालय भी प्रदेश के अन्य जिलों से अलग महत्व रखता है। यहां संग्रहालय में पूर्व रियासतकालीन हथियार, पूर्व शासकों की पोशाक, कलाकृति, दुलर्भ ऐतिहासिक ग्रंथ सहित पुरा महत्व की अनेक चीजे हैं। यही कारण है कि पूर्व में अलवर के ऐतिहासिक ग्रंथ अन्य जिलों में ले जाए गए। लेकिन संग्रहालय के पुरा महत्व का पर्याप्त प्रचार प्रसार नहीं हो पाने से यहां पहुंचने वाले पर्यटकों की संख्या काफी कम है।

बाघों से भरपूर, लेकिन पर्यटक दूर

देश के प्रमुख टाइगर रिजर्व में शुमार सरिस्का बाघ परियोजना भी अलवर जिले का हिस्सा है। सरिस्का में वर्तमान में 25 बाघ, बाघिन एवं शावक हैं। साथ ही यहां का जंगल भी प्राकृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, लेकिन पर्यटकों की संख्या की लिहाज से सरिस्का रणथंभौर टाइगर रिजर्व से काफी पीछे है। इसका प्रमुख कारण अलवर जिले के अन्य पर्यटक स्थलों की पूरी तरह मार्केटिंग नहीं हो पाना है। वर्तमान में अलवर जिले में आने वाले ज्यादातर पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र मात्र सरिस्का टाइगर रिजर्व तक सिमट कर रह गया है।