अलवर

कांग्रेस में जिला प्रमुख दावेदारों की भरमार, भाजपा को मजबूत दावेदार का इंतजार

पंचायती राज चुनाव के अंतिम चरण में प्रतिष्ठा का सवाल बना जिला प्रमुख चुनाव के लिए कांग्रेस व भाजपा ने चक्रव्यूह की तैयारी शुरू कर दी है, भले ही जिला परिषद सदस्यों के चुनाव परिणाम 29 अक्टूबर को आएंगे, लेकिन दोनों ही दल जिला प्रमुख पद की कशमकश में जुटे हैं। हालांकि कांग्रेस में जिला प्रमुख पद के दावेदारों की भरमार है, वहीं भाजपा को अभी मजबूत दावेदार का इंतजार है।

अलवरOct 28, 2021 / 12:22 am

Prem Pathak

कांग्रेस में जिला प्रमुख दावेदारों की भरमार, भाजपा को मजबूत दावेदार का इंतजार

अलवर. पंचायती राज चुनाव के अंतिम चरण में प्रतिष्ठा का सवाल बना जिला प्रमुख चुनाव के लिए कांग्रेस व भाजपा ने चक्रव्यूह की तैयारी शुरू कर दी है, भले ही जिला परिषद सदस्यों के चुनाव परिणाम 29 अक्टूबर को आएंगे, लेकिन दोनों ही दल जिला प्रमुख पद की कशमकश में जुटे हैं। हालांकि कांग्रेस में जिला प्रमुख पद के दावेदारों की भरमार है, वहीं भाजपा को अभी मजबूत दावेदार का इंतजार है।
जिले में जिला परिषद सदस्य व पंचायत समिति सदस्यों का चुनाव पूरा हो चुका है, अब 29 अक्टूबर को इनके नतीजे आने हैं। मतदान प्रक्रिया निपट दोनों ही प्रमुख दलों के चुनाव रणनीतिकार अब जिला प्रमुख व प्रधान पद के चुनाव की रणनीति बनाने में जुट गए हैं। दोनों ही दलों के प्रमुख नेताओं का ज्यादा जोर जिला प्रमुख पद को लेकर है, वहीं विधायक एवं विधानसभा स्तर के नेताओं का जोर अपने दल का प्रधान बनवाने पर है।
कांग्रेस में जिला प्रमुख को लेकर गहमागहमी ज्यादा

जिला प्रमुख पद को लेकर कांग्रेस में गहमागहमी ज्यादा है। इसका मुख्य कारण है कि कांग्रेस में जिला प्रमुख पद के लिए 5 से 6 मजबूत दावेदार मैदान में हैं। खास बात यह कि ये सभी प्रत्याशी जिला प्रमुख पद के चुनाव प्रबंधन में सक्षम व कुशल हैं। लेकिन भाजपा में जिला प्रमुख को लेकर अभी तक मुख्यत: दो-तीन दावेदारों के नाम ही उभर कर सामने आए हैं। हालांकि इनमें दो दावेदार चुनाव प्रबंधन व कौशल दिखाने में सक्षम हैं, लेकिन अभी इनकी सीटें कड़े संघर्ष में फंसी है। इसलिए भाजपा को अभी जिला प्रमुख पद के लिए मजबूत दावेदार की तलाश है।
प्रधानी के लिए ज्यादा मारामारी
हालांकि पंचायती राज जिला प्रमुख पद महत्वपूर्ण है, लेकिन जिले के ज्यादातर नेताओं की प्राथमिकता पंचायत समितियों में अपनी पार्टी के प्रधान बनवाना है। यही कारण है कि मंत्री हो या विधायक या फिर विधानसभा क्षेत्र स्तर के नेता सभी का ज्यादा ध्यान प्रधान बनवाने पर लगा है। कांग्रेस व भाजपा में प्रधान पद के चुनाव को लेकर पंचायत समिति स्तर पर खासी गहमागहमी है।
ज्यादातर प्रत्याशी पहुंचे जिले के बाहर

जिला परिषद सदस्य एवं पंचायत समिति सदस्य का चुनाव लडऩे वाले कांग्रेस व भाजपा के ज्यादातर प्रत्याशियों को अलवर जिले से बाहर भेजा जा चुका है। चर्चा है कि भाजपा खेमे के प्रत्याशियों को हरियाणा में कई स्थानों पर ठहराया गया है, वहीं कांग्रेस खेमे के प्रत्याशी अलवर के आसपास या प्रदेश में ही सुरक्षित स्थानों पर हैं। हालांकि कांग्रेस व भाजपा नेता पंचायती राज चुनाव में किसी भी प्रकार की बाड़ाबंदी से इनकार कर रहे हैं, लेकिन बाड़ाबंदी का खेल दोनों ही तरफ खूब हुआ है।
अब नजरें जिताऊ निर्दलीयों पर
कांग्रेस व भाजपा की ओर से अपने-अपने दलों के प्रत्याशियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के साथ ही अब नजरें जिताऊ प्रत्याशियों पर लगी है। हालांकि इनमें से कुछ निर्दलीयों को दोनों ही दलों ने अपने खेमों में पहले ही पहुंचा दिया है, वहीं अन्य की संभावना तलाशी जा रही है।
निर्दलीय निभा सकते हैं महत्वपूर्ण भूमिका

वैसे तो कांग्रेस व भाजपा जिला प्रमुख व ज्यादातर प्रधान अपने ही बूते पर बनाने का दावा कर रहे हैं, लेकिन निर्दलीयों की भूमिका को जिला प्रमुख व प्रधान पद के चुनाव में नकारा नहीं जा सकता है। राजनीतिक क्षेत्रों में कयास लगाए जा रहे हैं कि जिला प्रमुख पद के चुनाव में दोनों ही दलों को बहुमत के लिए कुछ निर्दलीयों की जरूरत पड़ सकती है। संभावना जताई जा रही है कि तीन से चार निर्दलीय प्रत्याशी जीत सकते हैं। वहीं प्रधान पद के चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशियों की भूमिका विशेष रहना तय माना जा रहा है।
कांग्रेस व भाजपा के लिए इसलिए जीत जरूरी
पंचायती राज चुनाव में कांग्रेस व भाजपा के प्रमुख नेताओं ने चुनाव लडऩे से भले ही दूरी बनाई रखी हो, लेकिन ये चुनाव दोनों ही दलों के लिए जरूरी है। कारण है कि करीब ढाई साल बाद प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। उन चुनाव से पहले जिले में अब कोई बड़ा चुनाव नहीं है, इस कारण क्षेत्र में खुद की पकड़ दिखाने का यह अच्छा मौका है। आगामी विधानसभा चुनाव के टिकट वितरण में भी यह जीत हार बड़ा आधार बन सकती है। इसके अलावा जिला प्रमुख व प्रधान अपने बनवाने से चुनाव लडऩे के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में वोट की राह भी आसान हो सकती है। इसलिए दोनों ही पार्टियों के प्रमुख नेता जिला प्रमुख व प्रधान पद के चुनाव में पूरी ताकत लगा रहे हैं।

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