अलवर

अलवर के पर्यटन स्थल स्मार्ट टूरिस्ट डेस्टिनेशन साइट्स के रूप में हो विकसित

पूर्वी राजस्थान का सिंहद्वार अलवर जिला पर्यटन स्थलों की खान है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में शामिल अलवर जिले के 19 पर्यटन स्थलों को एनसीआर के प्रस्तावित क्षेत्रीय मसौदा योजना- 2041 में शामिल कर स्मार्ट टूरिस्ट डेस्टिनेशन साइट्स के रूप में विकसित करने की जरूरत बताई गई है।

अलवरOct 07, 2022 / 11:57 pm

Prem Pathak

अलवर के पर्यटन स्थल स्मार्ट टूरिस्ट डेस्टिनेशन साइट्स के रूप में हो विकसित

अलवर. पूर्वी राजस्थान का सिंहद्वार अलवर जिला पर्यटन स्थलों की खान है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में शामिल अलवर जिले के 19 पर्यटन स्थलों को एनसीआर के प्रस्तावित क्षेत्रीय मसौदा योजना- 2041 में शामिल कर स्मार्ट टूरिस्ट डेस्टिनेशन साइट्स के रूप में विकसित करने की जरूरत बताई गई है। इनमें सरिस्का बाघ परियोजना एवं सिलीसेढ़ झील को एनसीआर में प्रस्तावित ब्लू ग्रीन गेटवे सर्किट में भी शामिल किया गया है।एनसीआर के लिए प्रस्तावित क्षेत्रीय मसौदा योजना- 2041 को यदि मंजूरी मिले और उसी अनुरूप जिले के पर्यटन स्थलों को स्मार्ट टूरिस्ट डेस्टिनेशन साइट्स के रूप में विकसित किया जाए तो यहां पर्यटन को पंख लग सकते हैं। इसका लाभ यह होगा कि अलवर जिले की पर्यटन उद्योग के रूप में पहचान स्थापित हो सकेगी और स्थानीय युवाओं की रोजगार की समस्या का भी काफी हद तक निराकरण हो सकेगा।
क्षेत्रीय मसौदा योजना में ये पर्यटन स्थल शामिल

एनसीआर के लिए प्रस्तावित क्षेत्रीय मसौदा योजना-2041 में अलवर जिले के 19 पर्यटन स्थलों को शामिल किया गया है। इनमें अलवर शहर के पर्यटन स्थल, सरिस्का बाघ परियोजना, सिलीसेढ़, भर्तृहरि, पाण्डुपोल, तिजारा, नीमराणा, ततारपुर, बानसूर, तालवृक्ष, केसरोली, कुशालगढ़, कांकवाड़ी, टहला, प्रतापगढ़, राजगढ़, अजबगढ़, भानगढ़, नारायणी मठ शामिल हैं।
पर्यटन स्थलों को विकास की दरकार

एनसीआर के प्रस्तावित मसौदा योजना में पर्यटन स्थलों के विकास के लिए तीन ब्लू ग्रीन गेटवे सर्किट प्रस्तावित किए हैं। इनमें अलवर जिले के सरिस्का टाइगर रिजर्व के माध्यम से सिलीसेढ़ को प्रस्तावित तृतीय ब्लू ग्रीन गेटवे सर्किट में शामिल किया है। मसौदा योजना में ऐतिहासिक दृश्यों और ऐतिहासिक संरचनाओं के संरक्षण के लिए कदम उठाने, नगरों के भू-उपयोग योजना में विरासत, सांस्कृतिक एवं पर्यटन स्थलों की स्पष्ट रूप से पहचान करने की जरूरत बताई गई है, जिससे उनके
क्षेत्र में अतिक्रमण एवं अनुपयुक्त विकास को रोका जा सके। वहीं

एनसीआर में राज्य की ओर से चिन्हित विरासत, सांस्कृतिक और पर्यटन स्थलों के आसपास स्टोन क्रशर, डंपिंग साइट जैसी प्रदूषण या धूल पैदा करने वाली गतिविधियां पूरी तरह प्रतिबंधित करने की जरूरत बताई है। क्षेत्र में पर्यटक पुलिस और महिला सुरक्षा सुविधाओं का विस्तार करने सहित कई अन्य जरूरी कदम उठाने की जरूरत बताई गई है।
भौगोलिक िस्थति पर्यटकों के अनुकूल

अलवर जिले की भौगोलिक िस्थति पर्यटकों के अनुकूल है। एनसीआर में शामिल अन्य राज्यों के पर्यटन स्थलों की तुलना में अलवर दिल्ली एवं जयपुर के मध्य िस्थत है। ज्यादातर पर्यटक दिल्ली एवं जयपुर के माध्यम से ही आते हैं। दोनों ही राजधानी से अलवर के लिए यातायात व्यवस्था भी सुगम है। वहीं एनसीआर का इकलौता टाइगर रिजर्व सरिस्का भी अलवर में हैं। यहां वर्तमान में 24 बाघ एवं बड़ी संख्या में पैंथर व अन्य वन्यजीव हैं। इन्हें देखने के लिए प्रतिवर्ष 50 हजार से ज्यादा पर्यटक आते हैं। इन पर्यटन स्थलों को विकसित किया जाए तो जिले में पहुंचने वाले पर्यटकों की संख्या कई गुना तक बढ़ने की संभावना है।
Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.