अलवर की कांग्रेस कमेटी ने केन्द्रीय कांग्रेस कमेटी के प्रस्ताव के अनुरूप कार्यक्रम तय किया। पहले स्वतंत्रता दिवस पर अलवर में झंड़ाभिराम जुलूस निकाला गया और विराट सभा हुई। दीपमालिका कार्यक्रम आयोजित कर घर-घर और दुकान-दुकान पर दीपों को लेकर कांग्रेस नेताओं ने एक और दीपावली मनाई। इस कार्यक्रम में पूर्व विधायक रामानंद अग्रवाल और उनके साथी प्रमुख थे। इस आयोजन को सफल बनाने के लिए कमेटियां बनाई गई। तालमेल समिति के संयोजक शोभाराम बनाए गए, इस समिति में मास्टर भोलानाथ, रामानंद अग्रवाल, शांतिस्वरूप डाटा, मायाराम, बद्रीप्रसाद गुप्ता सदस्य बनाए गए। इसी प्रकार अर्थ कमेटी के संयोजक मुंशीलाल को बनाया गया। रोशनी कमेटी के संयोजक रामजीलाल को बनाया गया। झंडा कमेटी के व्यवस्थापक रामजीलाल को बनाया गया। वहीं जुलूस कमेटी के संयोजक शांति स्वरूप डाटा, पांडाल कमेटी के लक्ष्मीनारायण खण्डेलवाल, प्रचार कमेटी के रामानंद अग्रवाल को संयोजक बनाया यगा। मास्टर भोलानाथ, मायाराम, नारायणदत्त बर्फ खाने वाले, महावीर प्रसाद जैन सदस्य बनाए गए। विद्यार्थी कमेटी के संयोजक मायाराम और भोजन कमेटी के संयोजक प्रबंधक रामदयाल हलवाई को बनाया गया, जिन्हें अलवर के बाहर से आने वालों के लिए भोजन की व्यवस्था करने का जिम्मा दिया गया। इस तरह पहले स्वतंत्रता दिवस को आजादी दिवस के रूप में मनाया गया।
भारत विभाजन से पहले पंजाबियों के जत्थे को रैणी में बसाया अलवर में भारत विभाजन से पहले एक जत्था सरदार और पंजाबियों का आया था, जिसे रैणी में बसाया गया। बाद में उन्होंने जगह को छोड़ दिया। सबसे ज्यादा राजस्थान के अलवर में शरणार्थी आए, आज वे पूरी तरह लोगों घुल-मिल गए हैं। अलवर के बाद भरतपुर, अजमेर, उदयपुर में शरणार्थियों ने अपना निवास बनाया।
तय किया कैसे मनाना है आजादी दिवस 20 जुलाई 1947 को कांग्रेस कार्यसमिति ने तय किया कि 15 अगस्त आजादी alwar republic day news दिवस के रूप में मनाया जाए। उस दिन बयान पढकऱ सुनाया जाए तथा गरीबों को मजबूत और उन्नत बनाने का प्रण किया जाए। एक प्रस्ताव में आजादी के उपलक्ष्य में 15 अगस्त दिवस कैसे मनाया जाए पर विचार किया गया। तब केन्द्रीय कांग्रेस कमेटी के प्रस्ताव में इस बात पर खुशी प्रकट की गई है कि हिन्दुस्तान फिर बनाने की आशा मजबूत है। प्रस्ताव में इस बात पर खुशी प्रकट की गई है कि हिन्दुस्तान से विदेशी राज खत्म हो गया है। जनता से अपील की गई कि प्रत्येक स्त्री, पुरुष, बच्चे 15 अगस्त का दिन शांति और अमन से मनाएं।
पृथ्वीराज के वंशज ने किले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया अलवर के इतिहासके जानकार एडवोकेट हरिशंकर गोयल के अनुसार नीमराणा चीफ विद (13 गांव एवं 10 बड़ी ढाणियां, जिसे 23 गांव भी कहा गया है) के पृथ्वीराज चौहान के वंशज पूर्व राजा राजेन्द्र सिंह ने अपने किले और महल पर राष्ट्रीय झंड़ा यानी तिरंगा झंड़ा फहराया। इस दिन किले और महल पर रोशनी की गई। नीमराणा बाद में मत्स्य संघ में शामिल हो गया और पूर्व महाराजा को प्रिविपस के रूप में राशि मिलती रही। नीमराणा में समाजवादी नेता डॉ. राममनोहर लोहिया भी अनेक बार आए। नीमराणा का यह किला अब होटल के रूप में संचालित है।