राजगढ़ के सराय बाजार में पिछले दिनों मास्टर प्लान की पालना कराने के लिए अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई में 300 साल पुराने मंदिर को भी नहीं बख्शा गया तथा कई गरीब लोगों के मकान व दुकानों को तोड़ दिया गया। ऐतिहासिक मंदिर तोड़ने तथा गरीबों के आशियाने उजाड़ने का मामला देश भर में सुर्खियों में रहा। विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं का यहां जमावड़ा रहा। धरना, प्रदर्शन से लेकर राजनीतिक दलों के नेताओं के बीच जुबानी जंग चली। आखिर अतिक्रमण में मंदिर व गरीबों के आशियाने तोड़ने की गाज सरकारी अधिकारियों एवं नगर पालिका चेयरमैन पर गिरी। लेकिन क्षेत्रीय विधायक पर राज्य सरकार ने अभी तक कोई एक्शन नहीं लिया है। जबकि इस मामले में उन पर भी खूब आरोप लगे हैं।
बैठकों में रहे मौजूद, फिर भी सरकार की क्लीन चिट राजगढ़ नगर पालिका बोर्ड की बैठकों में कस्बे में गौरव पथ बनाने, मास्टर प्लान की पालना सहित अनेक मुद्दों पर चर्चा कर निर्णय किए गए। इन निर्णयों के आधार पर कस्बे में कार्रवाई भी हुई। जिन पर कस्बा वासियों की प्रतिक्रिया अलग- अलग रही। इन चर्चाओं व निर्णय में शामिल रहे नगर पालिका चेयरमैन, अधिशासी अधिकारी को राज्य सरकार ने दोषी मानते हुए निलम्बित कर दिया। वहीं कार्रवाई को अंजाम देने पर राजगढ़ एसडीओ को भी निलम्बित कर दिया गया है। लेकिन इन चर्चा व निर्णयों में सहभागिता निभाते रहे क्षेत्रीय विधायक जौहरीलाल मीणा पर सरकार ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं कर लगभग क्लीन चिट दे दी है।
अब प्रशासनिक जांच पर भी सवाल राजगढ़ में पुराने मंदिर व गरीबों के आशियाने तोड़ने की जांच व पुनर्वास की कार्रवाई के लिए जिला प्रशासन ने बीडा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को जांच अधिकारी नियुक्त किया है। बीडा का मुख्यालय भिवाड़ी में हैं, जिसकी राजगढ़ के सराय बाजार से दूरी करीब 120 किलोमीटर है। ऐसे में अब मामले की प्रशासनिक जांच पर भी सवाल उठने लगे हैं। जानकारों का मानना है कि मामले की जांच के लिए जांच अधिकारी को बार- बार राजगढ़ आना होगा, वहीं बीडा में भी कार्य की अधिकता है। इस कारण जांच व पुनर्वास की कार्रवाई के लिए उनके बार- बार राजगढ़ आने पर संदेह है। हालांकि जांच अधिकारी नियुक्त होने के बाद पहले ही दिन वे राजगढ़ पहुंचे और जांच प्रारंभ की। पुनर्वास के लिए टूटे मकानों की पैमाइश का कार्य भी कराया। लेकिन निरंतर जांच पर अब भी सवालिया निशान लगा है।