उद्योग मालिक, अपशिष्ट स्लज परिवहन ठेकेदारों एवं जिम्मेदार विभागों मिलीभगत का ही नतीजा है कि औद्योगिक अपशिष्ट स्लज को सुरक्षित वाहनों से उदयपुर पहुंचाने के बजाय उन्हें जिले में ही खुले स्थानों पर डाला जा रहा है। अब तक टहला क्षेत्र के गोवर्धनपुर खनन क्षेत्र, मालाखेड़ा के पास पूनखर में नदी क्षेत्र िस्थत चांवडमाता के मंदिर के पास, एमआईए अलवर में हैवल्स औद्योगिक इकाई के पीछे रीको के खाली भूखंड एवं अशोक लीलैण्ड फैक्ट्री के पीछे डम्पिंग यार्ड में औद्योगिक अपशिष्ट स्लज को खुले में डालने का पता चल चुका है। वहीं अन्य स्थानों पर भी यह हानिकारक स्लज डालने की आशंका है।
प्रदूषण मंडल को पता नहीं खुले में पड़ा स्लज किसका रोलिंग मिल से निकलने वाला अपशिष्ट स्लज है, इसमें ऐसे रासायनिक तत्व होते हैं, जो मानवीय जीवन को खतरे में डालने के लिए काफी है। यह खुलासा स्वयं प्रदूषण नियंत्रण मंडल की ओर से खुले में पड़े स्लज की जांच रिपोर्ट में हुआ है। अलवर के एमआइए में तीन- चार रोलिंग मिल है, लेकिन जिम्मेदार विभाग अब तक यह पता नहीं कर पाया कि खुले में पड़ा स्लज किस रोलिंग मिल का है।
सबूत मिटाने की चिंता ज्यादा प्रदूषण नियंत्रण मंडल को लोगों के जीवन को खतरे में डालने वाले उद्योगों की पहचान कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के बजाय सबूत खत्म करने के लिए खुले में बिना ट्रीटमेंट के डाले गए स्लज को हटवाने की चिंता है। तभी तो गत 13 मई को गोवर्धनपुरा में तीन स्थानों पर डाले गए स्लज को आनन फानन में हटवाने की कार्रवाई की गई। यहां जमीन के ऊपर डाले गए स्लज को वाहनों में भरकर भिजवा दिया, लेकिन जमीन के अंदर दबाए गए स्लज को नहीं हटवाया गया। इसके अलावा पूनखर की नदी, एमआइए में पड़े स्लज को भी नहीं हटवाया गया है।
स्लज में ये हानिकारक तत्व रोलिंग मिल से निकलने वाले स्लज में कैडमियम, कॉपर, आयरन, लेड, निकल, क्रोमियम, जिंक जैसे घातक रायासनिक तत्व होते हैं। नियमानुसार रोलिंग मिल से निकलने वाले स्लज का निस्तारण सीमेंट उद्योगों में उच्च तापीय भट्टियों में ही संभव है। उच्च ताप वाली भट्टियों में स्लज को पूरी तरह जलाना होता है, जिससे उसके रासायनिक तत्व मानवीय जीवन के लिए खतरा नहीं बन सके।
पत्रिका की खबर के बाद कराई सेम्पल की जांच राजस्थान पत्रिका में गत 14 मार्च को एमआइए के उद्योगों से निकल रहा वेस्ट बन न जाए जानलेवा तथा 15 मार्च को भोपाल त्रासदी से भी नहीं ले रहे सबक, एमआइए के उद्योगों का खुले फेंका जा रहा वेस्ट शीर्षक से समाचार प्रकाशित किए गए। इस पर प्रदूषण नियंत्रण मंडल की ओर से गत 25 मार्च को अलवर जिले के टहला क्षेत्र में माइनिंग क्लस्टर नंम्बर चार गोवर्धनपुरा गांव के पास बंद पड़ी खानों में डाले गए स्लज के तीन सेंपल लेकर जांच के लिए विभागीय लैब में भेजा। इन तीनों सेंपल की रिपोर्ट गत 21 अप्रेल को मिली, जिसके बाद अलवर जिले में आद्योगिक अपशिष्ट स्लज को खुले में डालने की पुष्टि हुई।
प्रदूषण मंडल की रिपोर्ट में यह आया सामने एमजी प्रति किलो क्र.सं. रासायनिक तत्व परिणाम सेंपल प्रथम सेंपल द्वितीय सेंपल तृतीय 1. कैडमियम 5.58 3.42 नगण्य 2. कॉपर 1797 1868 नगण्य
3. आयरन 114800 112700 6.60 4. लेड 57.8 55.3 2.95 5. निकल 16505 7025 155 6. क्रोमियम 34315 50100 3.53 6. जिंक 26.2 27.1 नगण्य जमीन पर डालना खतरनाक
स्लज इतना खतरनाक होता है कि जमीन के स्पर्श में आते ही यह आसपास की कई बीघा भूमि को बंजर बना देता है। साथ ही बारिश या पानी रिसाव के माध्यम से जमीन में पहुंचने पर आसपास के भूजल को हानिकारक बना देता है। आद्योगिक अपशिष्ट स्लज के परिणाम भले ही हाथों हाथ दिखाई नहीं दे, लेकिन कुछ समय बाद जमीन के बंजर होने और भूजल के दूषित होने के रूप में दिखाई पड़ते हैं। इसलिए स्लज को जमीन पर डालने पर प्रतिबंध है।
कहां से आया स्लज स्लज प्राय: रोलिंग मिल का अपशिष्ट होता है। इसका नियमानुसार निस्तारण जरूरी है। छोटे स्तर पर स्लज के निस्तारण के लिए उद्योग इकाई में ट्रीटमेंट प्लांट जरूरी है, वहीं बड़े स्तर पर स्लज को एक विशेष प्रकार के वाहन में भरकर उदयपुर िस्थत सीमेंट प्लाट में निस्तारण के लिए ले जाना होता है, लेकिन वाहन परिवहन ठेकेदार उद्योग संचालकों से मिलकर स्लज को उदयपुर भेजने के बजाय आसपास के खुले क्षेत्रों में डलवा कर प्रति वाहन भाड़े के करीब 50 हजार रुपए बचाकर आपस में मिल बांट लेते हैं। इस तरह प्रति माह स्लज परिवहन के लाखों रुपए बचाकर मानव जीवन को खतरे में डाला जा रहा है।