कोरोना के दौरान लॉक डाउन व श्रमिकों के पलायन करने से लोगों के समक्ष रोजगार का बड़ा संकट खड़ा हो गया था। उद्योग, बाजार एवं अन्य व्यापारिक गतिविधियां लगभग थम सी गई, ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के समक्ष जीविकोपार्जन की बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई थी। ऐसे बुरे दौर में मनरेगा ने लोगों को आर्थिक सम्बल प्रदान किया।
पहले 85 हजार से ज्यादा श्रमिक, अब 30 हजार ही कोरोनाकाल के दौरान 7 जुलाई 2021 को मनरेगा में श्रमिकों की संख्या बढ़कर उच्चतम स्तर पर 85 हजार 407 तक पहुंच गई थी। उस दौरान अलवर जिला मनरेगा में श्रमिकों की संख्या के आधार पर प्रदेश में 18 वें नम्बर पर था। इस दौरान कोरोना का असर ज्यादा रहा था। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार का संकट था। कोरोना का असर कम हुआ तो मनरेगा में श्रमिकों की संख्या भी घटती गई। जनवरी 2022 में जिले में श्रमिकों की संख्या घटकर करीब 32 हजार रह गई। इसके बाद मनरेगा में श्रमिकों की संख्या में और गिरावट आई और वह 20 हजार के नजदीक रह गई।
एक सप्ताह में बढ़े करीब 10 हजार श्रमिक जिले में मनरेगा में श्रमिकों की संख्या में निरंतर गिरावट के चलते पिछले दिनों जिला कलक्टर ने एक ही दिन में मनरेगा स्थलों का आकस्मिक निरीक्षण कराया, जिसमें श्रमिकों की संख्या कम मिली। इस पर मनरेगा में स्वीकृत कार्यों को शुरू कराने तथा श्रमिकों की संख्या बढ़ाने के निर्देश दिए गए। इसका असर यह हुआ कि पिछले एक सप्ताह में अलवर जिले में मनरेगा श्रमिकों की संख्या में करीब 10 हजार श्रमिकों वृदि्ध दर्ज की गई। गत 19 जुलाई को जिले में मनरेगा श्रमिकों की संख्या 32 हजार 128 तक पहुंच गई। श्रमिकों की संख्या के आधार पर अलवर जिला प्रदेश में 19 वें स्थान पर रहा।
मनरेगा में कहां कितने श्रमिक ब्लॉक स्वीकृत कार्य कार्यरत श्रमिकबहरोड़ 40 1393 बानसूर 76 2957गोविंदगढ़ 33 762 कठूमर 77 1441किशनगढ़बास 188 2309 कोटकासिम 41 1683लक्ष्मणगढ़ 58 1341 मालाखेड़ा 73 1656मुण्डावर 88 3247
नीमराणा 52 1657रैणी 117 3619 राजगढ़ 88 2791रामगढ़ 85 1513 थानागाजी 103 2701तिजारा 116 2446 उमरैण 41 612योग 1276 32128