ग्राम पंचायत के सरपंच का चुनाव कहने में भले ही छोटा लगे, लेकिन पंचायत राज संस्थाओं में ग्राम पंचायत महत्वपूर्ण कड़ी होने से जिले की राजनीति में सरपंचों का रोल बड़ा रहा है। अभी तक की रणनीति के तहत कांग्रेस व भाजपा ने सरपंच व पंच पद के चुनाव में सिम्बल पर प्रत्याशी नहीं उतारने का निर्णय किया है, लेकिन दोनों ही पार्टियों के नेताओं की चाहत उनकी विचारधारा से जुड़े कार्यकर्ताओं को सरपंच व पंच पद का चुनाव लड़वाने की है।
पंचायत चुनाव में प्रमुख राजनीतिक पार्टियां सरपंच व पंच पद के चुनाव में सिम्बल पर प्रत्याशी नहीं उतारती। राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों का मानना है कि सरपंच का चुनाव महत्वपूर्ण होने के बाद भी प्रमुख पार्टियों की ओर से सिम्बल पर प्रत्याशी नहीं उतारने के पीेछे प्रत्याशियों की बगावत का भय है। कारण है कि प्रमुख पार्टियां लंबे समय से निकाय चुनाव में सिम्बल पर प्रत्याशी उतारती रही हैं, पार्षद पद के चुनाव में पार्टी टिकट के कई दावेदार होने से बगावत का खतरा झेलना पड़ता है। इसी बगावत के भय से फिलहाल प्रमुख पार्टियां सरपंच पद के चुनाव में सिम्बल पर प्रत्याशी उतारने से बचती हैं।
संजय नरूका
कांग्रेस विचारधारा के लोगों को आगे लाएंगे सरपंच व पंच के चुनाव में कांग्रेस विचारधारा के लोगों को आगे लाकर उनका चुनाव में सहयोग करेंगे। इन चुनावों में पार्टी की ओर से सिम्बल पर प्रत्याशी उतारने के पार्टी के निर्देश नहीं हैं।
योगेश शर्मा