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बिन सिम्बल ही कांग्रेस व भाजपा के बीच सरपंच व पंच को लेकर छिड़ी चुनावी जंग

locationअलवरPublished: Jan 03, 2020 10:47:42 pm

Submitted by:

Prem Pathak

राज्य निर्वाचन आयोग ने अभी पंचायत समिति व जिला परिषद सदस्यों के चुनाव की तिथियों की घोषणा नहीं की हो, लेकिन कांग्रेस व भाजपा समेत अन्य प्रमुख पार्टी पंचायत चुनाव के जरिए गांवों में अपनी पकड़ बनाने के प्रयास में जुट गई हैं।

बिन सिम्बल ही कांग्रेस व भाजपा के बीच सरपंच व पंच को लेकर छिड़ी चुनावी जंग

बिन सिम्बल ही कांग्रेस व भाजपा के बीच सरपंच व पंच को लेकर छिड़ी चुनावी जंग


अलवर. राज्य निर्वाचन आयोग ने अभी पंचायत समिति व जिला परिषद सदस्यों के चुनाव की तिथियों की घोषणा नहीं की हो, लेकिन कांग्रेस व भाजपा समेत अन्य प्रमुख पार्टी पंचायत चुनाव के जरिए गांवों में अपनी पकड़ बनाने के प्रयास में जुट गई हैं। फिलहाल प्रमुख पार्टियां की रणनीति बिना सिम्बल ही कार्यकर्ताओं को सरपंच व पंच के चुनाव में उतारने की है, जिससे पार्टियों को निकाय चुनाव की तरह बगावत की समस्या नहीं झेलनी पड़े।
प्रदेश में पंचायत चुनाव का बिगुल बज चुका है, फिलहाल राज्य चुनाव आयोग ने पंच व सरपंच के तीन चरणों में होने वाले चुनाव की तिथियों की घोषणा की है। पंचायत समिति व जिला परिषद सहित प्रधान, उप प्रधान, जिला प्रमुख तथा उप जिला प्रमुख के चुनावों की तारीख का ऐलान होना अभी बाकी है। यही कारण है कि सडक़ों पर प्रमुख पार्टियों की भागदौड़ कम दिखाई पड़ रही है, लेकिन ऐसा भी नहीं है कि प्रमुख पार्टियां पंचायत चुनाव को लेकर शांत बैठी हो। कांग्रेस व भाजपा सहित अन्य प्रमुख पार्टियों की नजर फिलहाल सरपंच व पंच पद के चुनाव पर टिकी है। गांवों की सरकार का मुखिया होने के कारण सरपंच पद का ग्रामीण राजनीति में बड़ा महत्व है। यही कारण है कि प्रमुख पार्टियों के नेता ग्राम पंचायतों में ज्यादा से ज्यादा सरंपच व पंच निर्वाचित कराने की रणनीति बनाने में जुटे हैं।
सरपंच चुनाव कहने में छोटा, राजनीति में महत्वपूर्ण


ग्राम पंचायत के सरपंच का चुनाव कहने में भले ही छोटा लगे, लेकिन पंचायत राज संस्थाओं में ग्राम पंचायत महत्वपूर्ण कड़ी होने से जिले की राजनीति में सरपंचों का रोल बड़ा रहा है। अभी तक की रणनीति के तहत कांग्रेस व भाजपा ने सरपंच व पंच पद के चुनाव में सिम्बल पर प्रत्याशी नहीं उतारने का निर्णय किया है, लेकिन दोनों ही पार्टियों के नेताओं की चाहत उनकी विचारधारा से जुड़े कार्यकर्ताओं को सरपंच व पंच पद का चुनाव लड़वाने की है।
बगावत के डर ने थामे सिम्बल


पंचायत चुनाव में प्रमुख राजनीतिक पार्टियां सरपंच व पंच पद के चुनाव में सिम्बल पर प्रत्याशी नहीं उतारती। राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों का मानना है कि सरपंच का चुनाव महत्वपूर्ण होने के बाद भी प्रमुख पार्टियों की ओर से सिम्बल पर प्रत्याशी नहीं उतारने के पीेछे प्रत्याशियों की बगावत का भय है। कारण है कि प्रमुख पार्टियां लंबे समय से निकाय चुनाव में सिम्बल पर प्रत्याशी उतारती रही हैं, पार्षद पद के चुनाव में पार्टी टिकट के कई दावेदार होने से बगावत का खतरा झेलना पड़ता है। इसी बगावत के भय से फिलहाल प्रमुख पार्टियां सरपंच पद के चुनाव में सिम्बल पर प्रत्याशी उतारने से बचती हैं।
राष्ट्रवादी विचारधारा के लोगों का करेंगे सहयोग

सरपंच व पंच के चुनाव में राष्ट्रवादी विचारधारा के प्रत्याशियों का सहयोग करेंगे। इन चुनावों में पार्टी की ओर से सिम्बल पर प्रत्याशी उतारने के निर्देश नहीं है।
संजय नरूका
जिलाध्यक्ष भाजपा दक्षिण अलवर
कांग्रेस विचारधारा के लोगों को आगे लाएंगे

सरपंच व पंच के चुनाव में कांग्रेस विचारधारा के लोगों को आगे लाकर उनका चुनाव में सहयोग करेंगे। इन चुनावों में पार्टी की ओर से सिम्बल पर प्रत्याशी उतारने के पार्टी के निर्देश नहीं हैं।
योगेश शर्मा
कार्यकारी जिलाध्यक्ष कांग्रेस अलवर

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