अलवर

alwar letest political story निकाय चुनाव में कांग्रेस के लिए राजनीतिक नियुक्तियां बनी गलफांस

alwar letest political story प्रदेश में आगामी नवम्बर माह में प्रस्तावित नगर निकाय के प्रथम चरण के चुनाव में बोर्ड व निगमों में राजनीतिक नियुक्तियां सत्ताधारी दल के लिए गलफांस बन सकती है।

अलवरSep 23, 2019 / 12:07 am

Prem Pathak

alwar letest political story निकाय चुनाव में कांग्रेस के लिए राजनीतिक नियुक्तियां बनी गलफांस

अलवर. alwar letest political story प्रदेश में आगामी नवम्बर माह में प्रस्तावित नगर निकाय के प्रथम चरण के चुनाव में बोर्ड व निगमों में राजनीतिक नियुक्तियां सत्ताधारी दल के लिए गलफांस बन सकती है। सत्ताधारी दल से जुड़े ज्यादातर नेता निकाय चुनाव से पहले यूआईटी, बोर्ड, निगम एवं विभिन्न समितियों में अपनी जगह पक्की करना चाहते हैं, वहीं पार्टी के रणनीतिकारों को आशंका है कि बोर्ड, निगम व विभिन्न समितियों में राजनीतिक नियुक्तियां आगामी निकाय चुनाव में पार्टी की राह में बाधा बन सकती है। अलवर जिले में अलवर व भिवाड़ी यूआईटी तथा विभिन्न जिला स्तरीय समितियों में राजनीतिक नियुक्तियां होनी है।
प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बने करीब 10 माह बीत गए, लेकिन पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं का सत्ता में भागीदारी का इंतजार अभी पूरा नहीं हो पाया है। राज्य मंत्रिमंडल में कुछ विधायकों को जगह मिल पाने के अलावा पार्टी के ज्यादातर नेता व कार्यकर्ता अभी सत्ता में भागीदारी का सपना संजोए हुए हैं।
alwar letest political story यूआईटी अध्यक्ष पर टिकी निगाहें

अलवर जिले में पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं की सबसे ज्यादा निगाह यूआईटी अध्यक्ष पर टिकी है। जिले में अलवर व भिवाड़ी दो यूआईटी हैं। गत विधानसभा चुनाव में टिकट से वंचित रहे ज्यादातर नेताओं की नजर यूआईटी के अध्यक्ष पद पर लगी है। इनमें कुछ नेता ऐसे भी हैं जो कि विधानसभा चुनाव में टिकट के लिए कांग्रेस में शामिल हुए, लेकिन ऐनवक्त पर टिकट से वंचित रह गए। वहीं पार्टी में पहले से मौजूद नेता भी यूआईटी चेयरमैन की कतार में हैं। वहीं ज्यादातर कार्यकर्ता जिला स्तरीय समितियों में जगह पाने को बेताब हैं।
पार्टी के समक्ष यह है समस्या

पार्टी रणनीतिकारों के समक्ष समस्या यह है कि राजनीतिक नियुक्तियां कुछ ही कार्यकर्ताओं व नेताओं को देना संभव है। ऐसे में राजनीतिक नियुक्तियों से वंचित रहे कार्यकर्ता निकाय चुनाव में निष्क्रिय रहकर पार्टी को नुकसान पहुंंचा सकते हैं। पार्टी के सामने के यह भी समस्या है कि यदि राजनीतिक नियुक्तियां अभी नहीं की तो निकाय चुनाव में कार्यकर्ताओं को सक्रिय कर पाना आसान नहीं होगा। यही कारण है कि राजनीतिक नियुक्तियां पार्टी रणनीतिकारों के लिए गलफांस बनी है।
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